मदरलैंड संवाददाता,

सीवान ।तम्बाकू सेवन के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक साल 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष के ‘‘युवाओं को उद्योग के हेरफेर से बचाना और उन्हें तंबाकू और निकोटीन के उपयोग से रोकना’’ तम्बाकू निषेध दिवस की थीम रखी गयी है। कोरोना संकट काल में किसी भी प्रकार के तम्बाकू उत्पादों का इस्तेमाल लोगों के लिए स्वास्थ्य चुनौतियों को बढ़ा सकता है। इसकी पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तंबाकू सेवन से विश्व भर में प्रति वर्ष 80 लाख लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ती है। तम्बाकू सेवन कई तरह के श्वसन संबंधी रोगों का कारण होता है एवं इससे श्वसन संबंधी रोग कई गुना बढ़ भी जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात का खुलासा भी किया है कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन करने वाले लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में कोविड-19 संक्रमण के बाद गंभीर होने की संभावना अधिक होती है।
पुरुषों में 50% एवं महिलाओं में 20% कैंसर होने की होती है संभावना
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार तम्बाकू उत्पादों के इस्तेमाल करने पर 50% पुरुषों एवं 20% महिलाओं में कैंसर होने की संभावना होती है। इससे 40% टीबी एवं अन्य रोगों के होने की भी आशंका रहती है। तम्बाकू सेवन के कारण मधुमेह, फेफड़ों की गंभीर बीमारी, स्ट्रोक, अंधापन, नपुसंकता, टीबी एवं कैंसर आदि रोग हो सकते हैं। कोरोना के इस दौर में यह वायरस तेजी से एक से दूसरे लोगों में फ़ैल रहा है। खैनी, पान या गुटखा जैसे चबाने वाले तम्बाकू उत्पाद का सेवन कर इधर-उधर थूकने से भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार भारत में देशभर में 15 साल से ऊपर 26.7 करोड़ लोग तम्बाकू उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं एवं प्रतिदिन तम्बाकू सेवन से लगभग 3500 मौतें होती है।

 

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