पूरी दुनिया में जरूरत मंदो के लिए नेत्रदान करने के प्रति लोगों को जागरूक करने के तमाम प्रयास के बावजूद नेत्रदान करने वालों का आंकड़ा उत्साह बढ़ाने वाला नहीं है। नेत्रदान और कार्निया प्रत्यारोपण के वर्तमान आंकड़ों पर गौर करें तो इसके दानदाता एक फीसदी से भी कम हैं। यही वजह है कि देश में 25 लाख लोग अभी भी दृष्टिहीनता की चपेट में हैं। देश में हर साल 80 से 90 लाख लोगों की मृत्यु होती है लेकिन नेत्रदान 25 हजार के आसपास ही होता है।

सामाजिक संस्थाए चला रही जागरूकता अभियान
यह तो हर कोई जानता है कि आंख हर व्यक्ति के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है और अगर वही नहीं है तो व्यक्ति का जीवन किसी काम का नहीं। ऐसे लोगों की मदद के लिए अधिक से अधिक नेत्रदान कराने के लिए आई बैंक और तमाम सामाजिक संस्थाओं की ओर से जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। अक्तूबर के दूसरे बृहस्पतिवार को हर साल विश्व दृष्टि दिवस भी मनाया जाता है। इसका मकसद आंखों की बीमारियों और समस्याओं को लेकर लोगों को जागरूक करना है।

वार्षिक सम्मेलन में जुटे देश भर के नेत्र रोग विशेषज्ञ
हाल ही में बनारस में आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के वार्षिक सम्मेलन में जुटे देश भर के नेत्र रोग विशेषज्ञों ने 2020 तक कार्निया की जरूरत के इस अंतर को कम करने का संकल्प लिया, लेकिन नेत्रदान के प्रति समाज में जागरूकता की कमी को लेकर उनकी चिंता झलकी। लायंस आई बैंक के निदेशक डॉ. अनुराग टंडन कहते हैं कि रक्तदान की तरह ही नेत्रदान के लिए जागरूकता बढ़ाकर ही दृष्टिहीनों की संख्या में कमी लाई जा सकती है।

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