मदरलैंड संवाददाता, पटना
लाँक डॉउन के कारण बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों का बिहार आने का सिलसिला लगातार जारी है। इसके लिए बिहार सरकार ने प्रखंड मुख्यालयों में क्वारेन्टाईन सेंटरों की स्थापना की है। प्रवासी मजदूरों को 21 दिनों तक कोरेटाइन में रहना है। जिसके लिए राज्य के मुखिया ने क्वॉरेंटाइन सेंटरों में सभी सुविधा मुहैया कराने का दावा करती आ रही है। इसके लिए पंचायतों के जनप्रतिनिधि और स्थानीय प्रशासन को निगरानी के लिए लगाया गया है।
लेकिन सुशासन बाबू के शासन में को क्वारेन्टाईन सेन्टरों की सुविधा में और सुशासन बाबू के दावों में कितनी सच्चाई है इसका जीता जागता प्रमाण मधुबनी जिला के लौकही प्रखंड के धरहरा, बरूवार और लौकही हाई स्कूल में देखने को मिला। जब एक प्रवासी ने क्वारेन्टाईन सेंटरों के बद्इंतजामी की शिकायत लौकही प्रखंड के बीडीओ संजीत कुमार से की तो वीडियो ने पंचायत के मुखिया से बात करने को कहा।
मजदूर- गुड इवनिंग सर
वीडियो- गुड इवनिंग
मजदूर- हम धरहरा पंचायत के क्वॉरेंटाइन सेंटर से बोल रहे हैं। यहां एक बल्ब भी नहीं जल रहा है। कैसे अंधेरे में रहेंगे।
वीडियो- कैसे रहेंगे आप नहीं लगा सकते हैं
मजदूर- हम तो लगवा रहे हैं। लेकिन आप जो मुखिया को दिए हैं। मुखिया कोई व्यवस्था नहीं कर रहे हैं।
वीडियो- मुखिया को वोट किसने दिया, हम दिए कि आप दिए
मजदूर- हम लोगों की बात मुखिया नहीं सुन रहा है।
वीडियो- जितना पूछ रहे हैं उतना बताइएना
मजदूर- हम बोल दिए हैं वह ठीक है लेकिन वो सुन ही नहीं रहा है
वीडियो- आप मुखिया को बोलिए कि इसी दिन के लिए वोट आपको दिए थे कि इस विपत्ति में आप हमको छोड़कर भाग रहे हैं
मजदूर- सर मुखिया जी हम को बोल रहे हैं ऊपर से पांच रुपैया हमको नहीं मिला है हम कहां से आपको लाकर देंगे
वीडियो- आप सरकार के आदेश का चिट्ठी उनको लाकर दिखा दीजिए
मजदूर- सर मुखिया नहीं मान रहे हैं तो हम किससे शिकायत करें
वीडियो- खाली भोटे दीजिएगा
मजदूर- सर मुखिया नहीं मान रहा है तो आप ही ना यहां के पदाधिकारी हैं हम लोगों का वीडियो- नहीं मान रहा तो आप मुखिया सरपंच के ऊपर केस कर दीजिए।
अब आप समझ सकते हैं की एक प्रखंड का वीडियो किस तरह से राजनीति का पाठ पढ़ा रहा है। अब यक्ष प्रश्न यह उठता है कि सुशासन बाबू के राज में अफसरशाही इतना बेलगाम क्यों? पहले तो सुना करता था कि नीतीश सरकार में अफसरशाही का राज है और आज साक्षात देखने और सुनने को भी मिल गया।