नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोरोनारोधी टीका एक आवश्यक जन स्वास्थ्य वस्तु है। इसकी दुनिया भर में भारी कमी है। इसलिए इसकी बर्बादी कम से कम हो, ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए। बर्बादी रोकने से जो टीके बचेंगे उनसे बहुत सारे लोगों का वैक्सीनेशन किया जा सकेगा। अगर सावधानी बरतते हुए वैक्सीन की बर्बादी रोक दी जाए, तो इससे लाखों लोगों का जीवन बचाया जा सकता है।
टीके की बरबादी को एक प्रतिशत से कम रखने पर स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिया जा रहा जोर अनुपयुक्त हैं, इन चर्चाओं के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कई राज्यों ने टीकाकरण अभियान इस तरीके से चलाया है कि न कोई बरबादी हो बल्कि वे शीशी से अतिरिक्त खुराक निकाल सकें। मंत्रालय ने कहा अत: यह उम्मीद करना कि टीके की बरबादी एक प्रतिशत या इससे भी कम हो, अनुचित नहीं है। यह उचित, वांछनीय और पूरा करने योग्य है।
कोविड-19 रोधी टीका लगवाना लोगों को इस संक्रमण से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। कोविड-19 महामारी को खत्म करने में सुरक्षा और प्रभावी टीकों को समान रूप से उपलब्ध कराना बेहद है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा टीके बनाने में काफी समय लगता है। कई बार इन टीकों के लिए मांग आपूर्ति से कहीं अधिक होती है। अत: यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि महामारी से निपटने में इस कीमती हथियार का इस्तेमाल बेहतर और उचित तरीके से किया जाए।
कोरोनारोधी टीका एक आवश्यक जन स्वास्थ्य वस्तु है, जिसकी दुनिया भर में कमी है। अत: टीकों की बरबादी कम से कम होनी चाहिए जिससे कई लोगों को टीका लगाने में मदद मिलेगी। उसने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी समय-समय पर टीकों की कम से कम बर्बादी पर जोर दिया है ताकि अधिक से अधिक लोग टीकों की खुराक ले सके। बयान में कहा गया है कि टीकों की बरबादी में कमी का मतलब है कि अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाना और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना। कोरोना का एक टीका बचाने का मतलब है कि एक और व्यक्ति का जीवन बचाना।
कोविड-19 रोधी टीकों के लिए अभी इस्तेमाल की जा रही नीति में शीशी को एक बार खोलने के बाद उसे एक निर्धारित समयसीमा के भीतर इस्तेमाल किया जाना होता है। बयान में कहा गया है कि टीका लगाने वाले व्यक्ति को प्रत्येक शीशी खोलने की तारीख और समय लिखने की सलाह दी जाती है और खोली जा चुकी सभी शीशियों को उसे खोलने के चार घंटों के भीतर इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है। मंत्रालय ने कहा कि सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को टीकाकरण के प्रत्येक सत्र में कम से कम 100 लोगों को टीका लगाने की सलाह दी जाती है। हालांकि दूरवर्ती तथा कम आबादी वाले इलाकों में राज्य कम लोगों के लिए भी टीकाकरण आयोजित कर सकते हैं, लेकिन उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टीकों की बर्बादी न हो।