नई दिल्ली। महामारी कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए देश में कोरोनारोधी टीका लगाने का अभियान चल रहा है और जुलाई के बाद से टीकाकरण की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद थी। पर हाल ही में सामने आए आंकड़े अलग संकेत दे रहे हैं। 5 अगस्त को दैनिक टीकाकरण का औसत 56 लाख से ज्यादा था, जबकि, 11 अगस्त को यह आंकड़ा 42.5 लाख पर आ गया है। इधर, अधिकारियों ने संभावना जताई है कि सितंबर से देश में टीका निर्माण में तेजी आएगी, जिसके बाद रोज लगने वाले टीकों का औसत 59 लाख तक पहुंच सकता है।
देश में कुल वयस्क आबादी 93.39 करोड़ है। इनमें से 40.69 करोड़ लोगों को कोविड-19 के खिलाफ पहला डोज लग गया है। आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश टीककारण के मामले में सबसे आगे चल रहा है। रिपोर्ट में दर्ज आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 77 फीसदी आबादी को पहला डोज लग गया है। यहां कुल टीकाकरण की संख्या 58.8 लाख है।
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में वैक्सीन के कुल 5.55 करोड़ डोज दिए गए हैं। यहां 31.4 प्रतिशत आबादी को पहला और 5.8 प्रतिशत को दूसरा डोज लगा है। पहली और दूसरी लहर के दौरान सर्वाधिक प्रभावित कहे जाने वाले महाराष्ट्र में 39.8 प्रतिशत को पहला और 13.8 प्रतिशत जनसंख्या को दूसरा डोज मिल सका है। यहां अब तक 4.77 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण के मामले में सबसे चिंताजनक ट्रेंड यूपी और बिहार में देखने को मिल रहा है। यूपी में 14.9 करोड़ लोग 18 साल से ऊपर के हैं। इनमें से अभी 4.68 करोड़ को वैक्सीन की एक खुराक दी गई है।
रिपोर्ट में जारी आंकड़े बताते हैं कि देश के केवल तीन राज्य ऐसे हैं, जहां 20 फीसदी से ज्यादा आबादी को वैक्सीन का दूसरा डोज मिला है। इनमें हिमाचल प्रदेश (24.7 प्रतिशत), उत्तराखंड (20.1 प्रतिशत) और केरल (21.8 प्रतिशत) का नाम शामिल है। वहीं, गुजरात में 19.7 प्रतिशत और जम्मू-कश्मीर में 18.6 प्रतिशत जनसंख्या ने दूसरा डोज प्राप्त किया है, जबकि, मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 10.7 प्रतिशत, कर्नाटक में 15.8 प्रतिशत है।
छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल, कर्नाटक, एमपी में 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को वैक्सीन का पहला डोज लग चुका है। वहीं, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और गुजरात में 60 प्रतिशत से ज्यादा आबादी पहला डोज प्राप्त कर चुकी है। हिमाचल प्रदेश के मामले में यह संख्या 77 प्रतिशत है। आंकड़ों के अनुसार, देश में 43.6 प्रतिशत वयस्क आबादी को पहला डोज लग चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि 60 प्रतिशत से ज्यादा वयस्क आबादी का टीका लगा चुके राज्यों में तीसरी लहर का खतरा कम है।














