बर्लिन। वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के खिलाफ एक अत्याधिक प्रभावी एंटीबॉडी की खोज की है। वैज्ञानिक आने वाले दिनों में इस एंटीबॉडी के जरिए एक पैसिव वैक्सीन बना सकते हैं। जानलेवा महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में जुटे वैज्ञानिक इसे एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देख रहे हैं। पैसिव वैक्सीन में वैज्ञानिक पहले से एक्टिव एंटीबॉडीज को इंसानी शरीर में दाखिल कराते हैं, जबकि एक्टिव वैक्सीन मानव शरीर में खुद के जरिए एंटीबॉडीज का निर्माण करती है। जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसीज और चैरिटे – यूनिवर्सिट्समेडिज़िन बर्लिन के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों के खून से लगभग 600 अलग-अलग एंटीबॉडी को निकाला है। लैब में टेस्ट के जरिए इन वैज्ञानिकों ने 600 एंटीबॉडीज में से कोरोना के खिलाफ एक्टिव कुछ एंटीबॉडीज की पहचान की।
जिसके बाद से वैज्ञानिकों ने सेल कल्चर्स का प्रयोग कर इन एंटीबॉडीज का कृत्रिम रूप से निर्माण किया। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि लैब में कृत्रिम रूप से बनाए गए ये न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी वायरस को बांध देते हैं। इस अनुसंधान परियोजना के समन्यवयक जैकब क्रेये ने बताया कि चूहों को जब संक्रमण के बाद यह एंटीबॉडी दी गई तो उनमें कोरोना का हल्का प्रभाव दिखा, वहीं संक्रमण से पहले जिन चूहों को एंटीबॉडी दी गई वह बिलकुल स्वस्थ्य दिखे।क्रिस्टलोग्राफिक विश्लेषण के जरिए वैज्ञानिकों ने बताया कि ये एंटीबॉडी मानव शरीर की कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश करने और उनके विकसित होने की प्रक्रिया को रोक देता है। इसके अलावा एंटीबॉडी के जरिए वायरस को इम्यून सेल खत्म कर देता है। चूहों पर किए गए रिसर्च में यह एंडीबॉडी कोरोना वायरस के खिलाफ अतिसंवेदनशील साबित हुई है। इससे इनके उच्च प्रभावकारिता की भी पुष्टि होती है।

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