लंदन। वैज्ञानिकों को कनाडा के उत्तर-पश्चिम पर्वतों में बहुत पुराने स्पंज जीवाश्म मिले हैं। यह पशु जीवन ज्ञात जीवाश्मों में से सबसे पुराने जीवाश्म हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का यहां तक मानना है कि यह नई खोज पशु उद्भव के इतिहास की धारणा को बदलने की क्षमता रखते है। जितना पुराना ये जीवाश्म बताए जा रहे हैं, अब तक वैज्ञानिक उससे कहीं आगे के समय पशुजीवन की शुरुआत मानते हैं। इससे पृथ्वी पर पशुओं के विकास क्रम में कुछ अहम बदलाव होने की उम्मीद की जा सकती है। कनाडा की वैज्ञानिक और भूगर्भशास्त्री एलिजाबेथ टर्नर का दावा है कि उन्होंने पशु जीवन के पुरातन प्रमाण हासिल कर लिए हैं। टर्नर का कहना है कि इन पर्वतों में मिले जीवाश्म 89 करोड़ साल पुराने हैं। पुरातन स्पंज के जीवाश्म अब तक के घोषित सबसे पुराने जीवाश्मों से 35 करोड़ साल पुराने हैं। इतने पुराने स्पंज जीवाश्मों का मिलना वैज्ञानिक जगत को हैरान किए हुए हैं।
कनाडा के लॉरेंटियन यूनिवर्सिटी के हर्क्वेल स्कूल ऑफ अर्थ साइंस की प्रोफेसर टर्नल में 89 करोड़ साल पुरानी रीफ में स्पंज के प्रमाण खोजे हैं जिन्हें उन्हंने कल्साइट क्रिस्टल के ट्यूब के आकर की संचरना के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया है कि पाया गया पदार्थ उसी तरह का जो स्पंज के युवा जीवाश्मों में पाए जाते हैं। उन्होंने ये जीवाश्म केवल एक सेंटीमीटर चौड़े पाए हैं। जो रीफ की सतह के नीचे रहा करते थे। जीवों के इतिहास में आज से 54 करोड़ साल पहले स्पंज की जीवाश्मों के होने के बहुत ही कम प्रमाण हासिल किए जा सके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह पड़ताल सही पाई गई तो स्पंज उस नियोप्रोटेरोजोइक घटना से भी 9 करोड़ साल पहले रहा करते होंगे। इस घटना के बारे में वैज्ञानिकों को मानना है कि वायुमंडल में भारी मात्रा में ऑक्सीजन बढ़गई जिससे पशु जीवन का मार्ग प्रशस्त हुआ। टर्नर का कहना है कि अगर पदार्थे के निष्कर्ष में वे सही हैं तो शुरुआती पशु उस घटना से भी पहले अस्तित्व में आ गए थे और वे कम ऑक्सीजन स्तरों में भी रह पाने में सक्षम रहे होंगे जो शायद आज के आधुनिक पशुओं के लिए संभव नहीं हो। आधुनिक स्पंज पर हुए शोध साबित करते हैं कि वे कम मात्रा की ऑक्सीजन में भी जीवित रह सकते हैं। टर्नर ने कहा कि पुरातन पशुओं का उद्भव भी स्पंज की तरह हुआ होगा। यह शोध पशु उद्भव के लिहास से बहुत अहम माना जा रहा है।
जर्मन भूजीवविज्ञानी जोएशिम रेटनर क कहना है कि वे मानते हैं कि ये पुरातन स्पंज हैं, केवल इसी प्रकार के जीवों में ही इस तरह के जैविक तंतुओं का नेटवर्क हो सकता है। वहीं स्वीडन की उप्पसला यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ पैको कार्डेनास जो दूसरे वैज्ञानिकों की तरह इस शोध का हिस्सा नहीं हैं, का मानना है कि 90 करोड़ साल के आसपास तक के स्पंज जीवाश्मों की खोज करना हमारे शुरुआती पशु विकासक्रम की समझ को बहुत बेहतर कर सकेगी। उन्होंने कहा कि इसकी टाइमिंग शानदा है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया के पुरातनजीवविज्ञानी डेविड बोटजर का कहना है, “मुझे लगता है कि टर्नर का केस बहुत मजबूत है। यह दूसरों के लिए मनन योग्य प्रमाण लिए हुए हैं।” वैज्ञानिकों को मानना है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत 3.7 अरब साल पहले हुई थी, लेकिन यहां पर पशुओं का आगमन बहुत ही बाद में हुआ था।