दुनिया l भर में कहर बरपा रहे कोरोना संक्रमण को मात देने के लिए वैज्ञानिक युद्धस्तर पर शोध कर रहे हैं। दुनिया के विभिन्न देशों में कई वैक्सीन परीक्षणों के दौर से गुजर रही हैं। इस बीच अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कोरोना की दमदार वैक्सीन बनाने का दावा कर कहा हैं कि इसका इस्तेमाल जानवरों पर हो चुका है। वैक्सीन बनाने का दावा करने वाले शोधकर्ताओं ने बताया कि यह वैक्सीन लोगों के शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए कई गुना अधिक एंटीबॉडी बनाती है। इस वैक्सीन को नैनो पार्टिकल्स (अति सूक्ष्म कण) से बनाया गया है। इस वैक्सीन का जानवरों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है।
परीक्षण में पाया गया है कि वैक्सीन चूहों में कोरोना से रिकवर हो चुके लोगों की तुलना में कई गुना ज्यादा न्यूट्रलाइजिंग ऐंटीबॉडीज विकसित करने में कारगर है। इसके अनुसार चूहों में वैक्सीन की डोज 6 गुना कम करने पर भी 10 गुना ज्यादा न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज उत्पन्न हुईं। इसके अलावा वैक्सीन ने शक्तिशाली बी-सेल इम्यून रेस्पांस भी दिखाया।वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह वैक्सीन लंबे समय तक कारगर रहेगी।
शोधकर्ताओं के अनुसार वैक्सीन का परीक्षण बंदर पर भी किया गया है। परीक्षण में पाया गया कि जब बंदर को वैक्सीन दी गई,तब उसके शरीर में बनी एंटीबॉडी ने कोरोना के स्पाइक प्रोटीन पर कई तरफ से हमला किया। बता दें कि स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही वायरस इंसानी कोशिका में प्रवेश करता है।वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इससे यह पता चलता है कि वैक्सीन तब भी प्रभावी रहेगी जब कोरोना अपना रूप बदलता है। शोध में बताया गया है कि कोरोना की वैक्सीन की आणविक संरचना काफी हद तक वायरस की नकल करती है।दावा किया गया है कि इसी वजह से वैक्सीन की इम्युन रेस्पांस ट्रिगर करने की क्षमता बढ़ गई है।जानकारी दी गई है कि वैक्सीन तैयार करने के लिए शोधकर्ताओं ने वायरस के पूरे स्पाइक प्रोटीन का इस्तेमाल नहीं किया है।यह वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन के 60 फीसदी हिस्से की नकल करती है।