लंदन। वैज्ञा‎निकों को मंगल के अलावा सौरमंडल में टाइटन पर जीवन होने की पूरी उम्मीद है। इसके अध्ययन के लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने ग्रांट दिया है। दिलचस्प बात यह है कि धरती पर वापसी के सफर के लिए ईंधन टाइटन में बह रहीं मीथेन की झीलों से लेने का प्लान है। नासा ने हाल ही में नासा इनोवेटिव अडवांस्ड कॉन्सेप्ट्स की 1.25 लाख डॉलर की ग्रांट नासा ग्लेन रिसर्च सेंटर को दी है।
टाइटन पर तरल महासागर है जिसमें जीवन की संभावना हो सकती है। उसकी सतह पर वायुमंडल पर थोलीन नाम के केमिकल कंपाउंड्स भी हैं, जो धरती पर नहीं पाए जाते हैं। इन्हें धरती पर लाने की कोशिश की जाएगी ताकि लैब में इन पर रिसर्च की जाए। नासा का मानना है कि ये सौर मंडल में जीवन का आधार हो सकते हैं और धरती पर भी जीवन की उत्पत्ति से जुड़े सवालों के जवाब मिल सकते हैं। टाइटन पर क्राफ्ट लैंड करना भी मंगल या दूसरे ऑब्जेक्ट्स की तुलना में आसान है।टाइटन के वायुमंडल में नाइट्रोजन धरती से ज्यादा है और दबाव 1.5 गुना ज्यादा। इससे लैंडर की गति अपने आप धीमी होती है, जैसे धरती पर लौटने वाले कैप्सूल्स की। टाइटन की सतह पर तापमान -179 डिग्री सेल्सियस तक भी जा सकता है। इस कारण वैज्ञानिकों में इसे लेकर कई सवाल रहे हैं। कंपास के लीड साइंस इन्वेस्टिगेटर जेफ्री लैंडिस का कहना है कि नाइट्रोजन से भरा टाइटन का मोटा वायुमंडल ऑर्गैनिक कंपाउंड्स को सुरक्षित रखता है।
धरती की विशाल झीलों के बराबर और गहरे तरल नैचरल गैस के सागर हैं। क्रस्ट के नीचे टाइटन में महासागर हैं और सतह की गहराई में पानी के महासागर। टीम को यह पता करना है कि लिक्विड ऑक्सिजन कैसे तैयार की जाए। मालूम हो ‎कि टाइटन हमारे सौर मंडल का दूसरा सबसे बड़ा चांद है। सबसे बड़ा चांद बृहस्पति का है जिसका नाम है गानीमेडेल टाइटन पर तरल महासागर है और उसमें लिक्विड मीथेन पाई जाती है। शनि पर भेजे गए नासा के कासीनी मिशन ने यह जानकारी दी थी। कासीनीने यहां धूल के तूफान भी देखे थे।

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