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पेसा एक्ट सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव की क्रांतिकारी पहल : राज्यपाल मंगुभाई पटेल
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पेसा एक्ट कर्मकांड नहीं जिन्दगी बदलने का है महाअभियान : मुख्यमंत्री चौहान
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शिवराज ने मास्टर ट्रेनर बनकर पढ़ाया पेसा एक्ट का पाठ जनजाति बंधुओं से एक्ट के अधिकारों का लाभ लेने का किया आव्हान
मुख्यमंत्री चौहान की घोषणाएं
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लव जिहाद के खिलाफ बनेगा सख्त कानून
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आने वाले पाँच साल में पलायन को पूरी तरह किया जायेगा समाप्त
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धर्मस्थलों का जीर्णोद्धार राज्य सरकार द्वारा कराया जायेगा
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विवाह तथा अन्य समारोहों में भोजन पकाने के लिये हर पंचायत में रहेगी बर्तनों की व्यवस्था
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पंचायतवार माइक्रो फाइनेंस की योजना शुरू की जायेगी
इन्दौर । शहीद टंट्या भील के बलिदान दिवस पर आज इन्दौर के नेहरू स्टेडियम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल तथा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विशेष उपस्थिति में विशाल समागम आयोजित किया गया। इस विशाल समागम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि पेसा एक्ट सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव की क्रांतिकारी पहल है। इसके लिये राज्य शासन बधाई की पात्र है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मास्टर ट्रेनर बनकर पेसा एक्ट का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि इस एक्ट को बेहतर तरीके से लागू करने के लिये जरूरी है कि सभी व्यक्ति जागरूक बनें। उन्होंने जनजाति बंधुओं से आव्हान किया कि वे जागरूक होकर इस एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करें और इसका लाभ लें। यह एक्ट मात्र एक कर्मकांड नहीं बल्कि जिन्दगी बदलने का महाअभियान है। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनेगा। आने वाले पाँच साल में पलायन को पूरी तरह समाप्त किया जायेगा। धर्मस्थलों का जीर्णोद्धार राज्य सरकार द्वारा कराया जायेगा। विवाह तथा अन्य समारोहों में भोजन पकाने के लिये हर पंचायत में बर्तनों की व्यवस्था रहेगी। पंचायतवार माइक्रो फाइनेंस की योजना शुरू की जायेगी। इसके लिये अगले वित्तीय वर्ष के बजट में प्रावधान किया जायेगा।
इस अवसर पर केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते सांसद व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह सामाजिक न्याय मंत्री प्रेम सिंह पटेल सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
पेसा एक्ट जनजातीय समाज को सफलता के शिखर पर ले जायेगा
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि जनजातीय समाज को जल जंगल और जमीन का अधिकार दिलाने के लिये पेसा एक्ट लागू किया गया है। मुख्यमंत्री चौहान स्वयं जनता के बीच जाकर इसे सरल भाषा में समझा रहे हैं। पेसा एक्ट जनजातीय समाज को सफलता के शिखर पर ले जायेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में वंचित वर्ग के कल्याण और समावेशी समाज बनाने के लिये सराहनीय प्रयास हो रहे हैं। राज्य सरकार जनजातीय समाज को सिकल सेल जैसी बीमारी से बचाने के लिये भी सराहनीय कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री चौहान इस सबके लिये बधाई के पात्र हैं। जनजातीय नायकों ने जल जंगल और जमीन बचाने के लिये अंग्रेजों के खिलाफ भीषण संघर्ष किया। आज टंट्या मामा भील के बलिदान दिवस पर मैं सभी को नमन करता हूँ।
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने सम्बोधन में पेसा एक्ट के बारे में विस्तार से समझाईश दी और उन्होंने कहा कि जागरूक बनकर इस एक्ट के हर एक प्रावधानों को प्रभावी रूप से लागू किया जाये। सभी जागरूक बनें और दूसरों को भी जागरूक करें। उन्होंने कहा कि पेसा एक्ट में जल जंगल जमीन खदानों आदि के अभूतपूर्व अधिकार जनजाति समुदाय और उनकी ग्रामसभा को दिये गये हैं। यह एक्ट सामाजिक एवं आर्थिक क्रांति का शंखनाद है। गरीब जनता की जिन्दगी के बदलाव का कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि यह एक्ट किसी के खिलाफ नहीं है यह जनजाति समुदाय के हक में है। उन्होंने कहा कि इस एक्ट को 89 विकासखण्डों में लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि इन विकासखण्डों में पेसा एक्ट से ग्राम सभाएं सशक्त होंगी। अपने फैसले खुद करेंगी। सरकार अब भोपाल से नहीं चौपाल से चलेंगी। उन्होंने कहा कि जनजाति समुदाय के कल्याण के लिये अनेक योजनाओं और कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम दिखायी दे रहे हैं। मेडिकल इंजीनियरिंग खेल आदि क्षेत्रों में जनजाति समुदाय की प्रतिभाएं बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। उन्हें वित्तीय सहित अन्य जरूरी सहयोग राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने टंट्या मामा द्वारा आजादी में दिये गये योगदान का जिक्र करते हुये कहा कि वे अद्भुत क्रांतिकारी थे। आजादी के लिये उन्होंने अपना पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया। इनके जैसे और भी वीर योद्धा जनजाति समुदाय के रहे हैं। इनके योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। ऐसे वीर योद्धाओं की गाथाओं को जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिये स्मारक बनाये जा रहे हैं और प्रतिमाओं की स्थापना हो रही है। इन वीर योद्धाओं को पूरा सम्मान दिया जायेगा।
पेसा एक्ट से जनजाति बहुल पंचायतें सशक्त और अधिकार संपन्न होंगी : केन्द्रीय मंत्री कुलस्ते
केन्द्रीय इस्पात मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपने उदबोधन में पेसा एक्ट लागू करने पर राज्यपाल पटेल तथा मुख्यमंत्री चौहान के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पेसा एक्ट से जनजाति बहुल पंचायतें सशक्त और अधिकार संपन्न होंगी। अब इन क्षेत्रों में विकास की नई इबारत लिखी जायेगी। सत्ता का विकेन्द्रीकरण हुआ है। पंचायतें सौंपे गये अधिकारों का पूरा-पूरा उपयोग करें। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी में जनजाति समाज के शहीदों का बड़ा योगदान रहा है। इन्हें कभी याद नहीं किया गया यह खेद का विषय रहा है। अब इनकी गौरव गाथायें जन-जन तक पहुंचायी जा रही है। स्मारक एवं मूर्तियां लगाकर इनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बनाया जा रहा है तथा उन्हें सम्मान दिया जा रहा है।
जनजाति समाज का गौरव और मान-सम्मान बढ़ाया जा रहा : विष्णुदत्त शर्मा
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि गत वर्ष 15 नवम्बर से जनजाति समाज के गौरव बिरसा मुण्डा के जन्म दिवस से गौरव दिवस की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी। जनजाति समाज के शहीदों को गौरव माना जा रहा है। उनकी जयंती एवं बलिदान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इनकी गौरव गाथायें जन-जन तक पहुंचायी जा रही हैं। जनजाति समाज का गौरव मान सम्मान बढ़ाया जा रहा है। जनजाति समाज के कल्याण एवं उन्हें सशक्त बनाने के लिये पेसा एक्ट लागू किया गया है। प्रदेश में पेसा एक्ट की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के लिये जनजाति बहुल क्षेत्रों से गौरव यात्रायें निकाली गयी। आज इन्दौर में इनका समापन हुआ है। हमारी सरकार ने जनजाति समाज को अधिकार सम्पन्न बनाया है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण आदिम जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह ने दिया। कार्यक्रम के अंत में विधायक राम डांगोरे ने आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम की झलकियां
- नेहरू स्टेडियम में विशाल मंडप को जनजातिय कला एवं संस्कृति के अनुरूप सजाया-संवारा गया था।
- स्टेडियम में विशाल मंच बना था यह मंच शहीद टंट्या भील सहित देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले अनाम शहीदों राव शंकर शाह कुंवर रघुनाथ शाह रघुनाथ सिंह मंडलोई खाज्या नायक रानी कमलापति रानी दुर्गावती सीताराम कंवर टुडिया मुड्डे बाई बिरसा मुंडा भीमा नायक आदि को समर्पित था। इनके चित्र प्रमुखता से लगाए गए थे।
- मंच से जनजातिय समाज के शहीदों की गौरव गाथा पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन किया गया। साथ ही पारंपरिक लोकगीत देशभक्ति से ओतप्रोत गीतों का भी ओजपूर्ण गायन हुआ।
- पूरे स्टेडियम प्रांगण में जनजातिय समाज के शहीदों की गौरव गाथा को प्रदर्शित किया गया था।
- स्टेडियम प्रांगण में जनजातिय समाज के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं कार्यक्रमों और अभियानों की जानकारी पर आधारित पोस्टर भी लगाए गए थे।
- कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनजातिय बंधु अपनी पारंपरिक वेशभूषा में उत्साह और उमंग के साथ शामिल हुये। उन्होंने धरती अम्बर कह रहे – टंट्या मामा अमर रहे नारों से पूरे प्रांगण को गुंजायमान किया।
- संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा कार्यक्रम शुरू होने के बहुत पहले ही पहुंच गए और व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देते रहे। किसी को भी परेशानी नहीं हो इसकी पूरी कमान उन्होंने संभाल रखी थी।
- कार्यक्रम में विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत लाभान्वितों को विशेष मंच पर बिठाया गया था। अतिथियों ने इन्हें सम्मानित भी किया तथा हितलाभ के प्रमाण पत्र वितरित किये। मुख्यमंत्री ने हितग्राही डॉ. कालूसिंह रावत रोशनी छगन जमरे राजवीर सिंह आदि से संवाद भी किया। उन्होंने हितग्राहियों से शासन द्वारा दिये गये सहयोग के बारे में पूछा और उनके अनुभव जाने।
- शहीद टंट्या मामा की स्मृति से जुड़े प्रमुख श्रद्धा के केंद्र पातालपानी और टंट्या भील चौराहा (भंवरकुआ) में आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी स्टेडियम में दिखाया गया।
- स्टेडियम पहुंचने पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा अन्य अतिथियों का परम्परागत लोकनृत्य के साथ अगवानी कर स्वागत किया गया।
- मुख्यमंत्री चौहान ने अपने सम्बोधन के दौरान न खाऊँगा और न खाने दूँगा.. का भी संकल्प लिया।
- प्रदेश के 89 जनजातिय बहुल विकासखण्डों से निकली गौरव रथ यात्रा भी आज इन्दौर पहुंची। इन रथयात्राओं का राज्यपाल पटेल तथा मुख्यमंत्री चौहान ने स्वागत किया। इन रथ यात्राओं का आज समापन था।
- सांसद सुमेर सिंह सोलंकी पूर्व मंत्री रंजना बघेल आदि ने जनजातिय बोली में भाषण दिया।
- अतिथियों ने कार्यक्रम के पहले कन्या पाद पूजन किया एवं शहीदों के चित्र के सम्मुख पुष्पांजलि अर्पित की।
- मुख्यमंत्री चौहान ने राज्यपाल पटेल की मंशा के अनुसार टंट्या मामा के बलिदान दिवस होने से पुष्पों से स्वागत नहीं कराया।
- अतिथियों को परम्परागत वेशभूषा पहनाई गयी एवं उन्हें धनुष-बाण भेंट किया गया।