नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्र-प्रथम की भावना से जुड़कर देश के युवा 21वीं सदी के आत्मनिर्भर भारत के पथ प्रदर्शक बनेंगे। प्रधान ने आईआईटी भुवनेश्वर में पुष्पगिरी लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स और ऋषिकुल्य हॉल ऑफ रेजिडेंस के उद्घाटन अवसर पर यह बात कही। केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में आईआईटी भुवनेश्वर के निदेशक प्रो. आर.वी. राजा कुमार और कौशल विकास संस्थान भुवनेश्वर के अध्यक्ष रंजन कुमार महापात्रा द्वारा एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए। यह समझौता ज्ञापन आईआईटी भुवनेश्वर की विशेषज्ञता एवं मार्गदर्शन के तहत उद्योगों के लिए प्रासंगिक तकनीकी शिक्षा के साथ बेरोजगार, अल्प-रोजगार और वंचित युवाओं में कौशल विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने उच्च शिक्षा संस्थानों को हरसंभव सहायता देकर युवाओं को अवसर उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा परिदृश्य को बदलने के लिए सरकार सामर्थ्य, सुलभता, समानता और गुणवत्ता की नींव पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लेकर आई है। प्रधान ने कहा कि यह केवल एक नीति नहीं है, बल्कि हमारे भविष्य के लिए एक विजन दस्तावेज है, जिसका उद्देश्य छात्रों को लचीलेपन और चयन के अधिकार के साथ सशक्त बनाकर एक छात्र-केंद्रित शिक्षा प्रणाली स्थापित करना है। केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि नई शिक्षा नीति हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय संस्थानों में बदल देगी। प्रधान ने ओडिशा में राज्य के सबसे बड़े व्याख्यान परिसर और छात्रावास के उद्घाटन के अवसर पर प्रसन्नता जताई और आशा व्यक्त की कि अतिरिक्त बुनियादी सुविधाएं छात्रों को अधिक उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने में सक्षम बनाएंगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान देने के साथ ही आईआईटी परिसर वास्तव में भारत की प्रगति तथा उच्च शिक्षा में सफलता के प्रतीक बन गए हैं। उन्होंने शिक्षण उत्कृष्टता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आईआईटी भुवनेश्वर की सराहना की। मंत्री ने कहा कि आईआईटी भुवनेश्वर को ओडिशा राज्य में एक अग्रणी संस्थान होने के नाते राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के प्रभावी कार्यान्वयन और समग्र व बहु-विषयक शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करने तथा समाज के जरूरतमंद वर्गों की मदद करने का बीड़ा उठाना चाहिए।

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