महाराष्‍ट्र में चुनाव बाद एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर शिवसेना द्वारा सरकार बनाने के खिलाफ दाखिल की गई याचिका शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने व्‍यवस्‍था देते हुए कहा कि लोकतंत्र में हम किसी राजनीतिक पार्टी को गठबंधन करने से नहीं रोक सकते। इससे पहले न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने वकील से सवाल किया कि क्‍या अदालत को चुनाव पूर्व और चुनाव बाद गठबंधन में दखल देना चाहिए?

इसके साथ ही न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि आपकी इस याचिका का अब कोई अर्थ नहीं रह गया है कि गठबंधन को सरकार करने से रोका जाए। दरअसल शिवसेना के खिलाफ यह याचिका अखिल भारत हिन्दू महासभा के नेता प्रमोद पंडित जोशी ने दाखिल की थी। इसमें कहा गया था कि चुनाव बाद के पार्टी गठबंधन के आधार पर बन रही सरकार को असंवैधानिक घोषित किया जाए। शिवसेना ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, किन्तु सरकार दूसरे दल के साथ बना रही है जो कि मतदाताओं के साथ धोखा है।

इससे पहले शीर्ष अदालत की इसी बेंच ने महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट कराने का फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्यपाल प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करें। बुधवार शाम 5 बजे तक विधायकों को शपथ ग्रहण कराइ जाए। इसके फ़ौरनत बाद बहुमत परीक्षण हो। गुप्त मतदान न हो और कार्यवाही का लाइव टेलीकास्ट भी हो। हालांकि अजित पवार और उसके बाद देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफा देने के बाद फ्लोर टेस्ट की आवश्यकता ही नहीं पड़ी थी।

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