नई दिल्ली। इस वर्ष की जनवरी से कोरोना संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीनेशन चल रहा है। इसके चलते कोरोना की दूसरी लहर थोड़ी कमजोर पड़ी है। वहीं तीसरी लहर को लेकर आशंकाएं व्यक्त की जा रही है। कई रिपोर्ट्स में विशेषज्ञों के मुताबिक दावा किया गया है कि तीसरी लहर में बच्चों पर इसका असर पड़ सकता है। इन सबके बीच फार्मा कंपनी जेडियस केडिला ने डीसीजीआई को आवेदन कर जियोकोव-डी के इमरजेंसी इस्तेमाल की मांग की है। यह वैक्सीन 12 वर्ष की उम्र से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों के लिए कोरोनावायरस बीमारी (केविड-19) के खिलाफ डीएनए वैक्सीन (डीएनए वैक्सीन) है। खबरों के अनुसार कंपनी ने 28,000 से अधिक कार्यकर्ताओं पर परीक्षण किया और फिर तीसरे चरण के चिकित्सकीय परिणाम पेश किए।
जेडियस केडिला के तीसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण डेटा के अनुसार जियोकोव-डी 12 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए सुरक्षित है। कंपनी ने सालाना कोविड-19 टीकों की 10 करोड़ खुराक का उत्पादन करने की योजना तैयार की है। हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि बच्चों के लिये कोविड-19 टीकों की उपलब्धता एक अहम उपलब्धि होगी और इससे स्कूल खुलने और उनके लिए बाहर की गतिविधियों का रास्ता खुलेगा। हाल ही में एम्स डायरेक्टर डॉ. गुलेरिया ने कहा था, ‘अगर जायडस के टीके को मंजूरी मिलती है तो यह भी एक और विकल्प होगा।’ मालूम हो कि भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन के दो से 18 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों पर किये गए दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़ों के सितंबर तक आने की उम्मीद है। इसके साथ ही अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर के टीकों को भी इजाजत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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