नई दिल्ली । कोरोना वायरस ने 2019 में दस्तक दी थी और तब से लेकर अब तक के तीन सालों में वायरस ने दुनिया में भारी तबाही मचाई है। इस वायरस को पूरी तरह मात देने के लिए अब तक कोई ठोस दवा ईजाद नहीं की जा सकी है। वैक्सीन ही इससे लड़ने का एकमात्र हथियार है। इस बीच वायरस के संक्रमण को लेकर दुनिया भर में लगातार रिसर्च किए जा रहे हैं। में हाल में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि संक्रमित मां से जन्मे शिशु में कोरोना वायरस पहुंच सकता है। साथ ही बच्चे में कोरोना संक्रमण के लक्षण भी गंभीर हो सकते हैं।
हालांकि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कहा है देश में कोरोना संक्रमित माताओं से उनके शिशु तक संक्रमण पहुंचने के मामले कम आए हैं। आईसीएमआर ने कहा हालांकि मां से बच्चे में कोरोना पहुंचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। एक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार संक्रमित माता से शिशु तक संक्रमण पहुंचने की आशंका करीब 6.5 फीसदी रहती है। वैज्ञानिकों ने करीब 304 शिशु और 301 माताओं के मेडिकल डॉक्यूमेंट्स की समीक्षा के बाद यह रिपोर्ट जारी की है। समीक्षा में पाया गया है कि शिशुओं में कोरोना संक्रमण के जोखिम से इनकार नहीं कर सकते हैं, हालांकि इनके मामले बेहद कम हैं, लेकिन एहतियात बेहद जरूरी है।
आईसीएमआर देश के अलग अलग हिस्सों में गर्भवती महिलाएं और नवजात शिशुओं का कोरोना संक्रमण से संबंध को लेकर अध्ययन कर रही है। रिपोर्ट में कहा कि टीकाकरण के जरिए गर्भवती महिला और उनके शिशु दोनों की सुरक्षा की जा सकती है। पिछले साल एक रिसर्च में दावा किया गया कि जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं और वे वैक्सीन ले चुकी हैं, तो उनका दूध भी कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। इस रिसर्च को ‘ब्रेस्टफीडिंग मेडिसिन’ नाम की एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था। इसके साथ ही सलाह दी गई है कि वैक्सीन ले चुकी मां अपने बच्चे को एंटीबॉडी दे सकती हैं।

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