नई दिल्ली। बिहार कांग्रेस संगठन में बदलाव की अटकलों के बीच पार्टी विधायकों, विधान परिषद के सदस्यों और वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली तलब किया गया है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी प्रदेश नेताओं से मुलाकात कर बदलाव के बारे में राय लेंगे। कई प्रदेशों में अंदरुनी कलह से जुझ रही कांग्रेस बिहार में एक तरफा निर्णय का जोखिम नहीं उठाना चाहती। इसलिए, सभी से चर्चा के बाद फैसला करना चाहती है। इसके साथ टूट की अटकलों के मद्देनजर पार्टी सभी विधायकों का भरोसा जीतने की भी कोशिश करेगी। विधानसभा चुनाव में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद पार्टी ने भक्त चरण दास को बिहार का प्रभारी नियुक्त किया। दास ने जिम्मेदारी संभालते ही यह संकेत दे दिए कि वह किसी दलित को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। पार्टी के कई नेताओं ने इसका खुलकर विरोध किया। यह बात संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल तक भी पहुंची। इसके बाद सभी से चर्चा कर फैसला करने का निर्णय किया गया।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा कहते हैं कि प्रभारी को इस तरह के बयान से परहेज करना चाहिए था। उनकी वजह से यह विवाद पैदा हुआ। उन्हें जल्दबाजी में फैसले नहीं करने चाहिए। पार्टी के कई नेता सवर्ण को अध्यक्ष बनाने की वकालत कर रहे हैं। इन नेताओं की दलील है कि मदन मोहन झा के बाद किसी सवर्ण नेता को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहिए। वहीं, एआईएमआईएम के बढते प्रभाव को देखते हुए मुसिलम की भी मांग उठ रही है। प्रदेश के नए अध्यक्ष के साथ पार्टी में टूट की अटकलों को लेकर भी कांग्रेस नेतृत्व विधायकों की नब्ज टटोलना चाहता है। हालांकि भक्त चरण दास सहित पार्टी के तमाम नेता इन अटकलों को खारिज कर चुके हैं। पार्टी के एक विधायक ने कहा कि कांग्रेस एकजुट है।

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