माकपा ने दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान राज्यसभा और लोकसभा में चर्चा नहीं कराए जाने पर नाराजगी जताते हुये कहा कि इतने महत्वपूर्ण विषय पर सदन में चर्चा नहीं कराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। पार्टी पोलित ब्यूरो द्वारा शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया है कि दिल्ली में हिंसा के कारण कानून व्यवस्था के संकट की त्रासदपूर्ण स्थिति के लिए केन्द्र सरकार का आरोपों के घेरे में होना शर्मनाक है। पार्टी ने कहा कि दिल्ली हिंसा में अब तक 53 लोगों की जान जा चुकी है। जबकि तमाम अन्य लापता लोगों के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी भी नहीं है। माकपा ने इस मामले में संसद के दोनों सदनों में चर्चा कराने की समूचे विपक्ष की मांग को साजिश के तहत नहीं मानने का सत्तापक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली हिंसा के मामले में ब्रिटिश संसद में भी तीन दिन पहले चर्चा हो चुकी है। पार्टी ने कहा कि 70 साल के संसदीय इतिहास में अब तक संसद को कभी भी इस तरह की असहाय स्थिति का सामाना नहीं करना पड़ा। माकपा ने इसे शर्मनाक बताते हुए कहा कि सत्तापक्ष होली के त्यौहार की आड़ में संसद के दोनों सदनों में चर्चा कराने से बच रहा है। पार्टी ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को यह स्थिति स्वीकार्य नहीं हो सकती है।

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