राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि अयोध्या सिर्फ हिन्दुओं के लिए ही नहीं जैन, बौद्ध और सिख धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण है। अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि होने के साथ जैन धर्म के पांच तीर्थंकरों का जन्म स्थान भी है। यहां भगवान बुद्ध ने भी 16 बार चार्तुमास किया। सिखों के गुरू नानक देव और गुरूगोविंद भी अयोध्या में रूके थे।

वे अयोध्या पर्व के दूसरे दिन शनिवार को अयोध्या की भावी संकल्पना विषय पर बोल रहे थे। डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि एक हजार वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है। 1960 में विदेश इतिहासकार के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के लोग अपने धार्मिक स्थलों का अपमान क्यों सहते रहे हैं। देश आजाद होने के बाद देश के सभी अपमानित, तिरस्कृत और खंडित स्थानों की पुर्नस्थापना की जान चाहिए थी। लेकिन हिन्दू समाज उदार, आध्यात्मिक और विनम्र है जो विवाद से दूर रहता है। उन्होंने पश्चिम की हवा असहिष्णुता की रही है। उन्होंने सैंकड़ों सभ्यताओं और संस्कृतियों को नष्ट कर दिया। यूनान, मिस्र और रोम जैसे देशों ने उनके सामने हार मान ली लेकिन भारतीय समाज पीढ़ी दर पीढ़ी अपना संकल्प जारी रखा औऱ आध्यामिक भावना के साथ पूरे देश को जोड़ कर रखा। इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय, समाज सेवी नंद किशोऱ गर्ग, भारतीय भाषा अभियान के संयोजक अरूण भारद्ज, सांसद लल्लू सिंह, अयोध्या पर्व के सचिव राकेश सिंह मौजूद थे।

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