नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने जम्मू में कहा कि स्टार्टअप में स्वरोजगार के कई अवसर सरकारी नौकरियों के मुकाबले कहीं अधिक आकर्षक हैं और जरूरत केवल उस मानसिकता को बदलने की है जो मामूली वेतन और थोड़े समय की सरकारी नौकरी को तरजीह देती है। इसके बजाय स्वरोजगार के लिए स्टार्टअप संबंधी पहल से शुरुआत से ही अपेक्षाकृत कई गुना अधिक रिटर्न हासिल किया जा सकता है। सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम) में सीएसआईआर-अरोमा मिशन फेज-II के तहत किसानों के लिए एक दिवसीय जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद कृषि स्टार्टअप, युवा उद्यमियों और किसानों के साथ बातचीत के दौरान डॉ. जितेन्द्र सिंह को एक युवा उद्यमी ने बताया कि उन्होंने खेती में आधुनिक तकनीक का उपयोग करके महज एक हेक्टेयर भूमि से 3 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाना शुरू कर दिया था। जबकि दो बी-टेक स्नातक इंजीनियरों ने कहा कि इसी तरह की स्टार्टअप पहल के जरिये उनकी आय महज पांच महीने की एक छोटी सी अवधि में दोगुनी हो गई थी। मंत्री ने कहा, यह उन भटके हुए युवाओं के लिए एक संदेश है जो दिहाड़ी मजदूरी वाली नौकरी के लिए संघर्ष करते हैं जिससे उन्हें 6,000 रुपये प्रति माह से अधिक नहीं मिल सकता है। जबकि हमारे पास ऐसे युवा स्टार्टअप हैं जो न केवल अपने लिए बल्कि अपने साथियों के लिए भी आकर्षक आजीविका प्रदान कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि युवाओं और उनके माता-पिता के लिए स्पष्ट तौर पर प्राथमिकताएं निर्धारित करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी सरकार हरेक युवा को सरकारी नौकरी नहीं दे सकती है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एक जिम्मेदार सरकार ने युवाओं के लिए स्वरोजगार के जरिये आजीविका कमाने के अद्भुत अवसर पैदा किए हैं।