अब 4 हेक्टेयर तक कलेक्टर स्वीकृत कर सकेंगे लीज

भोपाल । सरकार ने खनिज की नई गाइड लाइन जारी की है। अब सरकारी जमीनों पर खदानों की लीज के लिए एक से अधिक आवेदन आए तो उसकी नीलामी की जाएगी। सबसे ज्यादा रॉयल्टी देने वाले आवेदक को लीज मिल सकेगी। इतना ही नहीं अब कलेक्टर भी जिला स्तर पर चार हेक्टेयर तक ही लीज स्वीकृत कर सकेंगे। इससे अधिक एरिया में लीज स्वीकृत करने के लिए जिले के प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद राज्य शासन को प्रस्ताव भेजना होगा।
वर्ष 2010 से लेकर अब तक आवेदन अमान्य शासन ने 22 जनवरी को पत्र जारी कर कहा है कि वर्ष 2010 से लेकर अब तक खदानों की लीज के लिए लंबित 400 आवेदन मान्य नहीं होंगे। अब खनिज की नई नीति के तहत आवेदन दोबारा करना होगा। सरकार की नई नीति में खदान की लीज स्वीकृत की प्रक्रिया में परिवर्तन कर दिया गया है। जिला स्तर पर कलेक्टर चार हेक्टेयर तक लीज स्वीकृत कर सकेंगे। इससे अधिक एरिया में लीज स्वीकृत की अनुमति प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद प्रस्ताव राज्य स्तर पर खनिज संचालक को भेजा जाएगा।

चार हेक्टर से तक होगी नीलामी

जिला स्तर पर चार हेक्टेर तक कम से कम तीन आवेदनों पर नीलामी की प्रक्रिया की जाएगी। जिसमें शासन की निर्धारित रायल्टी से अधिकतम रायल्टी शेयर करेगा। उसी आवेदक को लीज स्वीकृत की जाएगी। रेकार्ड के अनुसार ऐसे करीब 175 आवेदन हैं, जहां सरकारी जमीन पर लीज के लिए आए हैं। नई नीति आने पर लंबित आवेदन भी अमान्य घोषित कर दिए गए। अब नए सिरे से आवेदन करना होगा। खनिज कार्यालय के रेकार्ड के अनुसार इस तरह के 400 से अधिक आवेदन निरस्त हो गए।

निजी जमीन पर 15 प्रतिशत देना होगा अतरिक्त रॉयल्टी

नई नीति में निजी भूमि पर लीज के लिए आवेदन करने पर भी निधारित रॉयल्टी का 15 प्रतिशत ज्यादा रॉयल्टी जमा करना होगा। निजी भूमि पर लीज के लिए 200 से अधिक आवेदन लंबित हैं। नई नीति लागू होने से निजी भूमि के आवेदन भी निरस्त हो गए।

पांच गुना बढ़ गई आवेदन की फीस

नई नीति में सरकार ने खनिज आवेदन के लिए पांच गुना फीस बढ़ा दी है। पहले आवेदन करने के समय पांच हजार रुपए की चालान जमा करना होता था। लेकिन, अब आवेदन के समय ही 25 हजार रुपए की रॉयल्टी जमा करना पड़ेगा। ऑनलाइन आवेदन के साथ ही चालाना लगाना पड़ेगा।

तीस साल तक दिए जाएंगे पट्टे

खनिज की नई नीति में मुख्यरूप से 31 प्रकार के गौण हैं। ऐसे खनिजों में मेजर मिनरल्स के खनिजों की गाइड लाइन में परिवर्तन किया है। जिसकी अनुमति भारत सरकार देती थी। मेजर मिनरल्स को माइनर कर दिया है। माइनर मिनरल्स के पट्टे तीस साल के पट्टे राज्य सरकार यानी राज्य स्तर पर संचालक जारी करेंगे।

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