काबुल। तालिबान की सरकार को लेकर पूरी विश्व बिरादरी में चिंता का माहौल है। लिहाजा ये कहा जा सकता है कि अफगानिस्तान पूरी तरह से अनिश्चितता में डूबा हुआ है। जानकार भी मानते हैं कि अफगानिस्तान में सरकार के गठन में जितनी देर होगी उससे अनिश्चितता का माहौल बढ़ेगा। एक तरफ तालिबान अपनी सरकार के गठन को लेकर कवायद कर रहा है तो दूसरी तरह काबुल में आतंकियों के दूसरे गुटों के हमले तेज होते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं तीसरी तरफ बातचीत के जरिए सरकार बनाने की राह खोजने वाले तालिबान ने पूर्व राष्ट्रपति अहमद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्लाह को उनके ही घर में नजरबंद कर दिया है। खोस्त प्रांत के पूर्व गवर्नर सेदिक पटमन का कहना है कि तालिबान और अफगानिस्तान के दूसरे नेताओं के बीच हुई अब तक की बातचीत केवल हाथ मिलाने तक ही सीमित रही है। उनके मुताबिक इस दौरान सरकार के गठन को लेकर किसी तरह की कोई बातचीत नहीं हुई है। दुर्भाग्य से बीते चार दशकों में शांति और नेशनल रीकंसिलेशन के लिए किसी तरह के कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
उनका ये भी कहना है कि सरकार गठन में हुई देरी से अफगानिस्तान में एक पावर वैक्यूम बन चुका है जो समस्या को बढ़ा ही रहा है। इसलिए तालिबान और दूसरे पक्षों को इस बारे में तेजी से विचार करने की जरूरत है। ताबिलान के कल्चरल कमीशन के प्रमुख अनामुल्लाह समंगनी का कहना है कि अफगानिस्तान में बना ये पावर वैक्यूम तभी खत्म हो सकेगा जब यहां पर तालिबान की सरकार का गठन औपचारिक रूप से होगा। हो सकता है तालिबान कुछ समय के बाद सरकार का गठन कर भी ले। इसके लिए इस्लामिक अमीरात आफ अफगानिस्तान के विभिन्न धड़ों के बीच वार्ता चल रही है। हालांकि अब तक अंतिम नतीजे तक नहीं पहुंचा जा सका है। अब तक किसी भी तरह से कोई भी पक्ष सरकार के गठन के लिए अंतिम घोषणा करने की स्थिति में नहीं है। लेकिन हमारी पूरी कोशिश है कि ये अनिश्चितता का माहौल जल्द से जल्द खत्म हो सके।
तालिबान के कब्जे के बाद काबुल में रहने वाले लोग भी इस अनिश्चितता के माहौल से दुखी हो चुके हैं। उनका कहना है कि इस माहौल में वो अपना रोजमर्रा का काम भी नहीं कर पा रहे हैं। वो अब इस माहौल से निकलकर सामान्य जीवन जीना चाहते हैं। लेकिन उन्हें इस अनिश्चितता भले महौल में जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है। एक काबुल में रहने वाले व्यक्ति ने बताया कि उन्हें नेता और राष्ट्रपति चाहिए।
उन्होंने ये भी कहा कि अब ये अनिश्चितता का माहौल खत्म होना चाहिए और सरकार का गठन जल्द होना चाहिए। उनके मुताबिक देश की नई सरकार को यहां के लोगों को इस बात के लिए भी आश्वस्त करना चाहिए कि वो देश छोड़कर न जाएं, यहां पर उनकी पूरी हिफाजत होगी। एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि देश में उपजी पावर वैक्यूम की स्थिति बेहद खराब है। ये हर किसी के लिए दुखदायी है। हम नहीं जानते हैं कि हमारा राष्ट्रपति कौन होगा। कौन विधानसभा में होगा और कौन एग्जीक्यूटिव ब्रांच देखेगा। विदेशों में हमारा नेतृत्व कौन करेगा। हम ये भी नहीं जानते हैं कि हम कौन हैं।