नई दिल्ली। सोया खली की बढ़ती कीमतों से मुर्गीपालन उद्योग प्रभावित होने के चलते केंद्र सरकार ने 12 से 15 लाख टन जीन संवद्र्धित सोया खली के आयात का करने का निर्णय लिया है। सोया खली का इस्तेमाल मुर्गियों के भोजन में होता है। सोया खली के दाम बढ़ने से मवेशी आहार की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। आहार में मक्का के साथ सोया खली का खास तौर पर इस्तेमाल होता है। मुर्गीपालन क्षेत्र के प्रतिनधियों ने कहा कि इस वर्ष अप्रैल से जुलाई के दौरान सोया खली की कीमतें 64 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं जिससे उनका कारोबार प्रभावित हुआ है। सोया खली के आयात पर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस बारे में आधिकरिक आदेश कभी भी आ सकता है। अधिकारी ने कहा कि आयातकों को यह बताना अनिवार्य होगा कि सोया खली का इस्तेमाल केवल मवेशी के आहार के लिए होगा। जीन संवद्र्धित सोया खली का आयात करने का निर्णय पर्यावरण मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध एवं मत्स्य उद्योग मंत्रालय ने संयुक्त रूप से लिया है। सोया खली की ऊंची कीमतों से देश का 80,000 करोड़ रुपए का मुर्गीपालन उद्योग प्रभावित हो गया है और इस कारोबार से जुड़े लोगों की कमाई पर खासा असर हुआ है। ऐसी खबर है कि इस उद्योग ने इस चुनौतीपूर्ण हालात से निकलने के लिए संबंधित मंत्रालयों से सोयाबीन की नई फसल बाजार में आने से पहले सोया खली का आयात करने की गुहार लगाई थी।