अपनी मांग पर अड़े हैं कर्मचारी
भोपाल। प्रदेश के सहकारी समिति कर्मचा‎रियों की यदि मांगें नहीं मानी तो उनकी आगामी 18 फरवरी को भोपाल में बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी है। सहकारी समितियों के कर्मचारी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। सहकारी समिति के कर्मचारी शासकीय कर्मचारियों की तरह वेतन-भत्ते और सुविधा की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। उधर, सहकारिता विभाग ने वेतन पुनरीक्षण के लिए समिति बनाने की बात कर्मचारी संगठन के सामने रखी है। समिति दो माह में रिपोर्ट देगी। सोमवार को सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। उधर, गृह विभाग हड़ताल अवैध घोषित करने के लिए एस्मा लागू करने की अधिसूचना जारी कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, हड़ताल कर रहे मध्य प्रदेश सहकारिता कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों के साथ सहकारिता मंत्री ने अधिकारियों की मौजूदगी में रविवार को चर्चा की। संगठन के अध्यक्ष बीएस चौहान ने बताया कि संगठन अपनी मांग पर कायम है। हालांकि, यह जरूर बताया गया कि एक उच्च स्तरीय समिति वेतन पुनरीक्षण के लिए गठित की जाएगी। यह दो माह में शासन को अपनी अनुशंसा देगी, जिसके आधार पर आगे कदम उठाए जाएंगे। इसमें वित्त के साथ-साथ खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा। संघ के अध्यक्ष ने बताया कि हमने कोई सहमति दर्ज नहीं की है। संगठन की कोर कमेटी के साथ सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। सोमवार को फिर से बैठक होगी। सीहोर और गुना को छोड़कर सभी जिलों में कर्मचारी हड़ताल पर हैं। 18 फरवरी को भोपाल में बड़ा प्रदर्शन करेंगे। उधर, सहकारिता विभाग ने सहकारी समितियों द्वारा संचालित उचित मूल्य की राशन दुकानों से खाद्यान्न वितरण पर पड़ रहे प्रभाव को देखते हुए गृह विभाग को अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लगाने का प्रस्ताव दिया है। बताया जा रहा है कि सोमवार को हड़ताल को अवैध घोषित करने संबंधी अधिसूचना जारी की जा सकती है।वहीं, पंचायत सचिव संघ के बाद मध्य प्रदेश पटवारी संघ ने भी राशन दुकान के संचालन का काम करने से इन्कार कर दिया है। संघ के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह बाघेल का कहना है कि अभी गेहूं के रकबे (क्षेत्र) का सत्यापन करना है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि का काम भी हो रहा है। ऐसे में दूसरा नया काम करना संभव नहीं है। इस बारे में सहकारिता आयुक्त नरेश पाल का कहना है ‎कि काम पर नहीं लौटने वाले 14 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को बर्खास्तगी के नोटिस जिला स्तर से दिए गए हैं। सोमवार तक यदि कर्मचारी काम पर नहीं लौटते हैं तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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