नई दिल्‍ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दंश को लोग अभी तक नहीं भूले है इसके कारण देश-दुनिया में बड़ी संख्‍या में लोग प्रभावित हुए थे। भारत में भी दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्‍या में लोगों की मौत हुई थी। अब कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। इस बीच नीति आयोग के सदस्‍य वीके पॉल पिछले महीने सरकार को कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए कुछ सुझाव दिए थे। इसमें कहा गया था कि भविष्‍य में प्रति 100 कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में से 23 मामलों को अस्‍पताल में भर्ती कराने की व्‍यवस्‍‍था करनी होगी। ए‍क मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले नीति आयोग की ओर से सितंबर 2020 में दूसरी लहर से पहले भी अनुमान लगाया गया था, लेकिन यह अनुमान उससे कहीं अधिक है। तब नीति आयोग की ओर से गंभीर/मध्यम गंभीर लक्षणों वाले लगभग 20 फीसदी रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता बताई गई थी।
कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद बड़ी संख्या में अस्पताल के बेड को अलग स्‍तर से निर्धारित करने की सिफारिश इस साल अप्रैल-जून में देखे गए पैटर्न पर आधारित है। कथित तौर पर अपने चरम के दौरान 1 जून को जब देश भर में सक्रिय केस लोड 18 लाख था तब 21.74 फीसदी केस में अधिकतम मामलों वाले 10 राज्यों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी थी। इनमें से 2.2 फीसदी लोग आईसीयू में भर्ती थे। नीति आयोग का कहना है कि और भी बदतर हालात के लिए हम लोगों को तैयार रहना चाहिए। आयोग ने एक दिन में 4 से 5 लाख कोरोना केस का अनुमान लगाया है। इसके साथ ही कहा है कि अगले महीने तक दो लाख आईसीयू बेड तैयार किए जाने चाहिए। इनमें वेंटिलेटर के साथ 1.2 लाख आईसीयू बेड, 7 लाख बिना आईसीयू अस्पताल के बेड (इनमें से 5 लाख ऑक्सीजन वाले बेड) और 10 लाख कोविड आइसोलेशन केयर बेड होने चाहिए।
सितंबर 2020 में दूसरी लहर से कुछ महीने पहले समूह ने अनुमान लगाया था कि 100 सकारात्मक मामलों में से 20 को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होगी। इसमें तीन को आईसीयू में भर्ती होना होगा। अन्‍य गैर लक्षणी मामलों के लिए यह अनुमान लगाया गया था कि इनमें से 50 को सात दिनों के लिए कोरोना केयर सेंटर में क्‍वारंटाइन रहने की जरूरत होगी, जबकि बाकी लोग घर पर रहकर इलाज करा सकते हैं।

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