नई दिल्ली। पिछले साल पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले फार्म यूनियनों ने अपने एजेंडे को बढ़ाकर मोदी सरकार की प्रमुख आर्थिक नीतियों का विरोध करना भी शुरू कर दिया है। इसमें नई संपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम भी शामिल है। उनका दावा है कि ये कार्यक्रम कृषि क्षेत्र को सीधे प्रभावित करेगा। एक प्रमुख फार्म यूनियन नेता, गुरनाम सिंह चारुनी ने केंद्र सरकार पर क्रूर पुलिस बल को लगाकर “किसानों और उनके नेताओं को मारने” के गुप्त एजेंडे का आरोप लगाया। बीते शनिवार को करनाल के लाठीचार्ज कांड के बाद ये आरोप लगाए गए हैं। गुरनाम सिंह चारुनी ने कहा कि हरियाणा हमेशा से किसानों की सक्रियता वाला राज्य रहा है। लेकिन ऐसी क्रूरता हमने पहले कभी नहीं देखी। राज्य और केंद्र दोनों सरकारों के पास पुलिस की पिटाई के माध्यम से किसानों और किसान नेताओं को मारने का एक गुप्त एजेंडा है। भारतीय किसान संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले एक नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार और उनके नौकरशाहों “सरकारी तालिबान और उनके कमांडरों” की तरह हैं। किसान यूनियनों के नए एजेंडे 5 सितंबर को आने संभावना है। यहां उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक बड़ी महापंचायत (ग्रामीण रैली) होने वाली है मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान, मोदी सरकार को चुनौती देते हुए तीन कृषि कानूनों वापस लेने की मांग को लेकर पिछले साल नवंबर से ही विरोध कर रहे हैं। शनिवार को, हरियाणा के करनाल में एक विरोध प्रदर्शन से लौटने के बाद एक किसान सुशील काजल की मौत हो गई, यहां प्रदर्शनकारियों को भारी पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा था। हालांकि राज्य के अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया है कि उसकी मौत पिटाई से हुई थी। उन्होंने कहा कि मृतक को दिल की बीमारी थी। इधर, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में, करनाल उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) आयुष सिन्हा शनिवार को पुलिसकर्मियों से हरियाणा के सीएम और राज्य के भाजपा नेताओं के विरोध में एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों का ‘सिर तोड़ने’ के लिए कह रहे थे। इस वीडियो के सामने आने के बाद से भी खूब हंगामा मचा हुआ है।

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