नई दिल्ली। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कहा कि उसने अपने खरीदारों को ई-नीलामी के माध्यम से खरीदे गए कोयले के निर्यात की अनुमति दे दी है। सीआईएल ने अपनी ई-नीलामी से कोयले की बिक्री की नीति में बदलाव किया है और हाजिर ई-नीलामी व विशेष हाजिर ई-नीलामी आउटलेट्स के माध्यम से खरीदे गए कोयले के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है। कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि इससे ई-नीलामी प्लेटफॉर्म पर कारोबार की मात्रा बढ़ेगी। सीआईएल ने कहा है कि प्रावधानों के मुताबिक ई-नीलामी के तहत खरीदे गए कोयले का इस्तेमाल देश के भीतर ही किया जा सकता था और इसका निर्यात नहीं किया जा सकता था, जिसमें अप संशोधन किया गया है और अब इन दो नीलामियों की श्रेणी वाले इस शुष्क ईंधन के निर्यात के रास्ते खोल दिए गए हैं। सीआईएल ने कहा है कि 2007 में ई-नीलामी की व्यवस्था पेश किए जाने के बाद से यह अपने तरह की अलग प्रगति है। सीआईएल ने अपने बिजली, स्टील, लौह और अन्य क्षेत्रों के ग्राहकों के साथ दीर्घावधि ईंधन आपूर्ति समझौता (एफएसए) किया है। इसके अलावा कंपनी नियमित रूप से अतिरिक्त कोयले की ई-नीलामी करती है। खरीदार अधिसूचित मूल्य के ऊपर अपनी बोली लगाते हैं। हालांकि कंपनी सीधे कोयले का निर्यात नहीं कर रही है, लेकिन दो नीलामी खिड़कियों के तहत कोयला खरीदने वालों को इसके निर्यात की अनुमति दे रही है, जिससे कंपनी की बिक्री में तेजी आएगी।