नोएडा। नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर प्रकरण पर सीएम योगी ने बेहद गंभीर रुख अख्तियार करते हुए स्‍पेशल इंवेटिगेशन टीम (एसआईटी) बनाने का आदेश दे दिया है। उन्‍होंने कहा है कि 2004 से 2017 तक इस प्रकरण से जुड़े रहे प्राधिकरण के अफसरों की सूची बनाकर जवाबदेही तय की जाए। उनके खिलाफ समयबद्ध ढंग से कार्रवाई का निर्देश भी सीएम ने दिया है। इस मामले में दोषी लोगों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने का भी आदेश सीएम योगी ने दिया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के टावर-16 और 17 को अवैध ठहराते हुए दोनों टावरों को ढहाने का आदेश दिया था। दोनों ही टावर 40 मंजिला हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए दोनों टावर को तीन महीने में ढहाने के आदेश दिए हैं। नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर प्रकरण मामले में बिल्‍डरों और नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की सांठगांठ खुलकर उजागर हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में भी साफ तौर पर इसका जिक्र किया है। कोर्ट ने कहा कि यह कंस्‍ट्रक्‍शन नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और बिल्‍डर की मिलीभगत से ही हो पाया है। कोर्ट ने दोनों टावरों को तीन महीने में ढहा देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही निर्माण ढहाने पर होने वाले खर्च की वसूली बिल्‍डर से करने का निर्देश भी कोर्ट ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक बिल्‍डर को फ्लैट के खरीदारों का पैसा दो महीने में वापस करना होगा। 40 मंजिला ट्विन टावर में कुल मिलाकर करीब 1000 फ्लैट हैं। सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट, नोएडा सेक्‍टर 93 में है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि खरीदारों को पैसा लौटाने के बाद आरडब्‍ल्‍यूए को दो करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अप्रैल 2014 में टावरों को चार महीने में गिराने और खरीदारों को पैसे लौटाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा विकास प्राधिकरण की ओर से सुपरटेक को दो अतिरिक्‍त 40 मंजिला टावर के कंस्‍ट्रक्‍शन की मंजूरी देना, नियमों का उल्‍लंघन था। जबकि कोर्ट में सुपरटेक ने दलील दी थी कि ट्वि‍न टावर का निर्माण गैरकानूनी नहीं है। बिल्‍डर की इस दलील को कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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