दिल्ली की एक कोर्ट ने शनिवार को सीमापुरी हिंसा के आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई को स्थगित कर दिया है। अब मामले पर 31 दिसंबर को सुनवाई की जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने घायल पुलिसकर्मी की मेडिकल रिपोर्ट की मांग की है। शुक्रवार को नई दिल्ली में एक कोर्ट ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सीमापुरी में हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर गिरफ्तार किए गए और खुद के नाबालिग होने का दावा करने वाले आरोपी की उम्र का पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस को उसकी हड्डियों संबंधी जांच (बोन ओसिफिकेशन टेस्ट) कराने की इजाजत दे दी है।

पुलिस ने कोर्ट से कहा कि आरोपी के पास अपनी उम्र का कोई वैध प्रमाण नहीं है और उसकी हड्डियों संबंधी जांच कराए जाने की जरुरत है, जिसके बाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गीता ने पुलिस को इसकी इजाजत दे दी है। कोर्ट ने पुलिस को 30 दिसंबर तक रिपोर्ट जमा कराने के लिए कहा है। वकील जाकिर रजा और मोनिस रईस ने एक याचिका दाखिल करते हुए दावा किया था कि आरोपी नाबालिग है।

इस याचिका पर सुनवाई करने के दौरान अदालत ने इस बात पर गौर किया कि आरोपी की उम्र साबित करने के लिए वकीलों द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज वैध नहीं है। वकीलों ने उस मदरसे द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र पेश किए थे जहां आरोपी पढ़ता था। जिसे कोर्ट ने वैध नहीं माना और हड्डियों की जांच करने के आदेश दिए।

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