हाल ही में जस्टिस गोगई अपने पद से सेवानिवृत हो चुके है, अयोध्या का फैसला आने के बाद इस बात का पता चला है कि जस्टिस आर भानुमति सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सदस्य बनने वाली है। वह पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की जगह लेंगी। सुप्रीम कोर्ट के पांच सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश इसके सदस्य होते हैं। जस्टिस गोगोई के सेवानिवृत्त होने के बाद जगह खाली थी। 13 साल बाद कोई महिला जज कॉलेजियम का हिस्सा बनी है। उनसे पहले जस्टिस रूमा पाल 2006 में रिटायर होने तक कॉलेजियम की हिस्सा रह चुकी है।

हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश
मिली जानकारी के अनुसार कॉलेजियम अलग-अलग हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश करता है। अब कॉलेजियम में सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस भानुमति होंगी।जस्टिस भानुमति 13 अगस्त, 2014 को सुप्रीम कोर्ट में जज बनीं थीं।

आपराधिक मामलों से निपटने में निपुण जस्टिस भानुमति
बता दें कि जस्टिस भानुमति को आपराधिक मामलों से कुशलता से निपटने के लिए जाना जाता है। वह फॉर्मर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली उस बेंच का भी हिस्सा थीं, वही जिसने निर्भया गैंग-रेप के आरोपियों की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था और 2017 की मौत की सजा की फिर से पुष्टि की है। हाल ही में उन्होंने बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद से जुड़े एक और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे को देखा है। जहां स्वामी चिन्मयानंद पर शाहजहांपुर की एक लॉ स्टूडेंट ने रेप का आरोप लगाया है।

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