नई दिल्ली। कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को लेकर सरकार पर आरोप लगाए जा चुके हैं कि सरकार कोरोना से मरने वालों का सही आंकड़ा पेश नहीं कर रही है। कई राज्यों पर कोरोना से होने वाली मौतों में धांधली होने का मुद्दा उठाया गया था। अब सरकार ने इस मामले पर कहा कि कोरोना से होने वाली सभी मौतों को कोविड डेथ के रूप में ही दर्ज किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता कि कोरोना मरीज किसी दूसरी अन्य बीमारी से ग्रसित है तो उसे मौत का कारण बताया जाए। सरकार ने कहा कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई भी जाएगी। इसके अलावा डेथ सर्टिफिकेट पर भी मौत की वजह कोरोना संकम्रण बताई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगर किसी मरीज को कोई गंभीर बीमारी थी और उसके बीच उसे कोरोना संक्रमण हुआ तब भी उसे कोरोना से हुई मौतों में दर्ज किया जाएगा। कोरोना से मौत होने के साथ-साथ भले ही मरने वाला मरीज दूसरी गंभीर बीमारी से भी ग्रसित क्यों न रहा हों, उसकी गिनती कोरोना डेथ में दी जाएगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामें में कहा कि नियमों का पालन न करने पर डॉक्टरों को भी सजा मिलनी चाहिए। सरकार ने कहा, अगर साफ तौर पर मौत की वजह कोरोना नहीं कुछ और दिख रही है तो उसे कोरोना से हुई मौत नहीं माना जा सकता है। जैसे- दुर्घटना में हुई मौत, जहर खाना, हार्ट अटैक आदि। दिशानिर्देश कहते हैं कि अस्थमा, हृदय रोग, डाइबिटीज या कैंसर जैसी बड़ी बीमारी मरीज को गंभीरता के स्तर तक पहुंचा सकती है लेकिन इन्हें मौत का बुनियादी कारण नहीं माना जा सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को कोविड -19 मौतों की जांच के लिए समर्पित समितियां बनाने के लिए भी कहा था जिसके तहत सभी अस्पतालों को 24 घंटे के भीतर समितियों को अपनी मृत्यु का सारांश पेश करना अनिवार्य था। ये समितियां यह देखने के लिए बनाई गई थी कि मौतों के कारण क्या रहे और क्या इससे बचना संभव था। 12 जून को जारी एक बयान में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि उसने जिलेवार मामलों और मौतों की दैनिक निगरानी के लिए एक मजबूत रिपोर्टिंग तंत्र की जरूरत पर जोर दिया था। मंत्रालय ने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा था, “रोजमर्रा की मौतों की कम संख्या की रिपोर्ट करने वाले राज्यों को अपने डेटा की फिर से जांच करने के लिए कहा गया था, जिसमें मौतों की संख्या पर विस्तृत डेटा प्रदान करने के लिए कहा गया था। हलफनामे में उल्लेख किया कि मौतों का ऑडिट एक प्रशासनिक अभ्यास है जो उन कमियों की पहचान करता है जो मरीजों की मौत में योगदान करते हैं। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना है।

Previous articleजम्मू कश्मीर सोपोर में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़
Next articleयूपी में मॉल दिल्ली में पार्क और बार

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here