भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की खंडपीठ ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को लागू करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि वह जनवरी में याचिका पर सुनवाई करेगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

59 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के लिए लगी…
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली 59 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के लिए लगी थी। याचिका दाखिल करने वालों में सांसद जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा और असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं। इसके साथ ही CJI बोबडे ने अटॉर्नी जनरल (AG) केके वेणुगोपाल को बुलाया और कहा कि वकील अश्विनी उपाध्याय ने असामान्य अनुरोध किया कि उन्होंने जामिया का दौरा किया और कहा कि लोगों को अधिनियम के बारे में पता नहीं है, क्या आप नागरिक संशोधन अधिनियम को सार्वजनिक कर सकते हैं ? अटॉर्नी जनरल का कहना है कि सरकारी अधिकारी इस अधिनियम प्रकाशित कर सकते हैं।

सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित
वर्तमान भारत में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों, हिंसा और फिर पुलिस कार्रवाई के मामले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि हम इन याचिकाओं को क्यों सुनें। आप लोग हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते?’ इतना ही नहीं कोर्ट ने छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने का भी कोई आदेश नहीं दिया और न ही मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की।

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