नई दिल्ली । वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 4000 किलोमीटर की लाइन के करीब चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को चार से छह सैटेलाइट की आवश्यक्ता है। एलएसी और सुरक्षा एजेंसी को समपर्पित सैटेलाइट्स से चीन की हर चाल पर नजर रखने में मदद मिलेगी। सुरक्षा एजेंसियों ने इसकी आवश्यक्ता जताई है। सैटेलाइट्स की जरूरत तब महसूस की गई जब चीनी सेना ने एलएसी के करीब शिनजियांग क्षेत्र में अभ्यास की आड़ में भारी हथियारों और तोपखाने के साथ 40,000 से अधिक सैनिक जुटाए और उन्हें भारतीय क्षेत्र की ओर ले जाना शुरू किया। कई स्थानों पर चीन ने निर्माण भी किए। रक्षा सूत्रों ने बताया भारतीय क्षेत्र और गहराई वाले हिस्सों में दोनों के पास चीनी सैनिकों और बलों की गतिविधियों के कवरेज को बेहतर बनाने के लिए चार से छह समर्पित उपग्रहों की आवश्यकता होती है, जिनमें बहुत उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले सेंसर और कैमरे करीबी निगरानी रखने की क्षमता हो। उन्होंने कहा कि इससे चीन पर नजर रखने के साथ-साथ विदेशी सहयोगियों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। सूत्रों ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के पास पहले से ही कुछ सैन्य उपग्रह हैं जो प्रतिकूल परिस्थितियों पर कड़ी नजर रखने के लिए उपयोग किए जाते हैं, लेकिन उस क्षमता को और मजबूत करने की जरूरत है। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच सीमा को लेकर गतिरोध लंबे समय से जारी है। रक्षा मंत्रालय ने अब अपनी वेबसाइट पर दस्तावेज अपलोड किए हैं, जिसमें कहा है कि एलएसी पर चीनी आक्रामकता बढ़ती जा रही है और मौजूदा गतिरोध लंबे समय तक जारी रह सकता है। मंत्रालय ने गलवान घाटी का जिक्र भी किया है, जहां पर 15 जून को हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। वहीं, कई चीनी सैनिक भी मारे गए थे। जून में रक्षा विभाग की प्रमुख गतिविधियों को सूचीबद्ध करने वाले एक आधिकारिक दस्तावेज में, मंत्रालय ने कहा कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पीएलए 17-18 मई को कुगरांग नाला, गोगरा और उत्तरी बैंक के पैंगोंग त्सो के क्षेत्रों में भारत की ओर आई। मंत्रालय ने दस्तावेज को वेबसाइट पर 4 अगस्त को अपलोड किया गया था। दस्तावेज में कहा गया कि इसके परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों के सशस्त्र बलों के बीच जमीनी स्तर पर बातचीत हुई। कोर कमांडर लेवल फ्लैग मीटिंग 6 जून को आयोजित की गई थी। हालांकि, 15-30 जून के बीच, दोनों पक्षों में एक हिंसक आमना-सामना हुआ, जिसमें भारत के सैनिक शहीद हुए और चीन कई के सैनिक मारे गए।

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