बॉलीवुड के मशहूर एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने सभी को हैरान कर दिया है। हर व्यक्ति इसी सोच में डूबा है कि आखिर उन्होंने यह कदम क्यों उठाया…? क्या कोई दूसरा रास्ता नहीं था…? ऐसा करना जरुरी था क्या…? सुशांत की मौत होने के बाद ऐसा सवाल उठना लाजमी है। उनकी मौत होने के बाद हर किसी को झटका लगा है फिर वह कितना भी आम इंसान हो या कितना भी ख़ास। अचानक यूँ उनका चले जाना हर किसी को खल चुका है। वैसे कुछ लोगों का कहना है वह कई महीनों से “डिप्रेशन” से पीड़ित थे। कुछ लोग कह रहे हैं जो हुआ अच्छा हुआ, वहीं कुछ लोगों का मानना है जहाँ वो चले गए वहां खुश होंगे। लेकिन क्या सुशांत ने सही किया….? मात्र 34 साल की उम्र में सब कुछ पाकर भी कुछ नहीं पाया। उन्होंने अच्छी शिक्षा ली, अच्छा खान-पान, मौज-मस्ती, मुंबई की चमक -धमक वाला जीवन, पैसा, स्टारडम, प्रेमिका सब कुछ पाया लेकिन अंत में क्या किया “आत्महत्या”।
क्या यह एक आसान तरीका है सब चीजों से छुटकारा पाने का…? सुशांत सब छोड़ गए, अपने, अपने सपने, अपना परिवार, अपने लोग, अपने दोस्त सब…. लेकिन ऐसा नहीं है, कि अभी कुछ बचा है। अभी सुशांत के पिता जी है जो उनके जाने के गम में डूबे हुए हैं। उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया, जीने के लिए, परिवार के लिए, बच्चों के लिए, बच्चों के सपनों के लिए, अपने स्वाभिमान के लिए, अपने गर्व के लिए, लेकिन उन्होंने कभी आत्महत्या के बारे में नहीं सोचा। उन्होंने अपने बेटे का खूब अच्छे से पालन पोषण किया, उसे अच्छी पढ़ाई करवाई, इंजीनियरिंग कराया लेकिन कभी भी सुशांत को नौकरी के लिए बाध्य नहीं किया। उनके बेटे को हीरो बनना था तो वह भी उसके सपने को पूरा करने के लिए उसके साथ निकल पड़े क्योंकि सुशांत से बड़े उनके पिता के सपने थे। जब उनकी पत्नी ने उनका साथ छोड़ दिया तो उस बूढ़े बाप ने धीरे-धीरे अपनी बेटियों की शादी कर दी, एक बेटी ने भी साथ छोड़ दिया।
लेकिन पिता टूटे नहीं बल्कि संघर्ष में लगे रहे। उन्होंने अपने कठिन संघर्षों से लड़कर सब कुछ पाया। उनकी आँखों में अपने बेटे को लेकर कई सपने थे लेकिन सुशांत ने सब कुछ तोड़ दिया। एक पिता का स्वाभिमान उनका बेटा होता है, पिता का मनोबल उनका बेटा होता है, पिता के लिए जीने का मतलब ही उनका बेटा होता है लेकिन आज उनके बेटे ने ऐसी हार मानी कि पिता को छोड़ चला गया. उसने नहीं सोचा कि उसके पापा का क्या हाल होगा। बूढी आँखे जो उससे आस लगाए बैठी है उन्हें उसके जाने के बाद कितना दुःख होगा. बेटे ने कुछ नहीं सोचा उसने केवल यही सोचा कि अब उसे नहीं जीना…. अपनी जिंदगी खत्म कर उसने सब खत्म कर लिया, पापा का प्यार उसे नजर नहीं आया, बूढी आँखे उसे नजर नहीं आई, पिता का संघर्ष उसे नहीं दिखा… क्यों…? अब मन में कई सवालों के घेरे हैं उस पिता के जिसने बेटे के सपने को उड़ान दी थी. और हमारे मन में केवल एक सवाल है असल में मौत किसकी हुई ‘सुशांत की या उनके पिता की’…?