देश में चल रही आर्थिक मंदी के कारण उद्योग-धंधे हलकान हैं। बड़े पैमाने पर नौकरियां जा रही हैं। हालांकि सरकार अब भी ऐसे किसी मंदी के होने से इनकार कर रही है। मगर दुनियाभर की तमाम आर्थिक सस्थाएं सरकार के दावे को खारिज करती है। इस कड़ी में अग्रणी ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज भी शामिल हो गई है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने चालू वित्त वर्ष (2019-20) में भारत की विकास दर छह फीसदी से भी कम रहने का अनुमान जताया है।

जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.1 फीसद
मूडीज ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का विकास दर अनुमान घटाकर 5.8 फीसद कर दिया है, जो पहले 6.2 फीसद रखा गया था। एजेंसी का कहना है कि लंबी अवधि तक असर डालने वाले कुछ कारकों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती कुछ अधिक खिंचने के आसार हैं। बीते सप्ताह आरबीआइ ने भी मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.1 फीसद कर दिया था।

वित्तीय संकट के कारण खपत पर असर
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सुस्ती का असल कारण निवेश में कमी है, जिसने बाद में रोजगार सृजन में कमी और ग्रामीण इलाकों में वित्तीय संकट के कारण खपत पर भी असर दिखाया। एजेंसी ने कहा, नरमी के कई कारण हैं और इनमें से अधिकांश घरेलू एवं कुछ दीर्घकालिक असर वाले हैं। वृद्धि दर बाद में तेज होकर 2020-21 में 6.6 फीसद और मध्यम अवधि में करीब सात फीसद तक पहुंच सकती है। एजेंसी ने कहा, अंतरराष्ट्रीय मानक के हिसाब से वास्तविक जीडीपी में पांच फीसद की वृद्धि अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन भारत के संदर्भ में यह कम है।

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