बाजार नियामक सेबी ने फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) के विकास में लगी कंपनियों को को उनके नये उत्पादों, सेवाओं और कारोबारी मॉडल का चुनिंदा ग्राहकों के बीच वास्तविक परिस्थितियों में परीक्षण की अनुमति दे दी है। यह निर्णय वित्तीय उत्पाद प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवप्रवर्तन को प्रोत्साहित करना है। यह निर्णय सोमवार को सेबी बोर्ड की बैठक में किया गया। नियामक ने कहा कि शुरू में सेबी के पास पंजीकृत इकाइयां नियामकीय ही इस ‘सैंड बाक्स’ (प्रायोगिक क्षेत्र) व्यवस्था में भाग लेने की पात्र होंगी। नियामकीय सैंड बाक्स व्यवस्था में कंपनियां नए उत्पादों, प्रक्रियाओं और कारोबारी मॉडलों का वास्तविक माहौल सीधे परीक्षण कर सकती है। इसके लिए सीमित संख्या में पात्र ग्राहकों को जोड़ने की सुविधा होती है। यह परीक्षण सीमित अवधि के लिये होगा और इसमें कुछ नियमों और दिशानिर्देशों के अनुपालन से ढील दी जाएगी। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की बैठक में नियामकीय ‘सैंड बाक्स’ के लिये विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग की अनुमति देने का निर्णय किया गया है। यानी नियमित इकाइयों को उन गतिविधियों के समाधानों के परीक्षण की भी अनुमति होगी जिसके लिये वे पंजीकृत नहीं हैं।

सेबी ने कहा कि इस प्रकार के परीक्षण के लिये सीमित पंजीकरण की मंजूरी दी जाएगी। बाद में नियामक द्वारा नियंत्रित नहीं होने वाले फिनटेक स्टार्टअप और अन्य इकाइयों को भी इसकी अनुमति दी जा सकती है। लेकिन मौजूदा निवेशक संरक्षण रूपरेखा, केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) और मनी लांड्रिंग निरोधक नियम से कोई छूट नहीं मिलेगी। प्रस्तावित नियामकीय ‘सैंड बाक्स’ का मकसद नये कारोबारी मॉडल और प्रौद्योगिकी के लिये परीक्षण आधार उपलब्ध कराना है जिससे निवेशकों, भारतीय बाजार और कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था को लाभ है। इस व्यवस्था में पात्र इकाइयों को वित्तीय प्रौद्योगिका का वास्तविक परिवेश में कुछ ग्राहकों के साथ प्रयोग की अनुमति होती है। साथ ही इसमें सुनिश्चित किया जाता है कि निवेशकों की सुरक्षा और जोखिम बचाव को लेकर जरूरी सुरक्षा उपाय किये गये हों।

 

 

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