मदरलैंड संवाददाता, नौशाद आलम, मधेपुरा
विश्वविद्यालय हिंदी विभाग, बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के अध्यक्ष डॉ. सीताराम शर्मा 30 अप्रैल 2020 को सेवानिवृत्त हो गए। इस उपलक्ष्य में कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने उन्हें अंगवस्त्रम् एवं पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया। कुलपति ने कहा कि शिक्षक कभी भी सेवानिवृत नहीं होते हैं। इसलिए वे विभाग से जुड़े रहें और शैक्षणिक कार्यों में विश्वविद्यालय का सहयोग करें।
इस अवसर पर कुलपति के अलावा कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद, जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर, इतिहास विभाग के अध्यक्ष डाॅ. भावानंद झा, बीएनमुस्टा के महासचिव डाॅ. नरेश कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप, कुलपति के निजी सचिव शंभू नारायण यादव आदि ने डाॅ. शर्मा के सक्रिय दीर्घायु जीवन की मंगलकामनाएं कीं।
डाॅ. शर्मा ने कुलपति सहित सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया और सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने सेवानिवृत्ति के पश्चात् भी वर्गाध्यापन की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हमें श्रद्धा एवं विश्वास के साथ निरंतर कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहना चाहिए। मेहनत ही सर्वोपरि है। जो मेहनत करेगा, वह अवश्य आगे बढ़ेगा।
तत्काल विभाग के शिक्षक डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप को विभाग के दैनिक कार्यों के संपादन का प्रभार दिया गया है। डाॅ. काश्यप और विभाग के अन्य कर्मियों एवं विद्यार्थियों ने विभाग की शैक्षणिक प्रगति के लिए डाॅ. शर्मा के योगदान की सराहना की।
ज्ञातव्य हो कि डॉ. शर्मा का जन्म अप्रैल 1955 में मधेपुरा जिलान्तर्गत बिहारीगंज प्रखंड के तुलसीया ग्राम में एक कृषक परिवार में हुआ। इन्होंने गाँव के ही बुनियादी विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। आगे इन्होंने ठाकुर प्रसाद, मधेपुरा से इंटरमीडिएट एवं स्नातक और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा से स्नातकोत्तर (हिंदी) की डिग्री प्राप्ति की। ये 1981-82 में हंसी मंडल महाविद्यालय, बिहारीगंज, मधेपुरा में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्य करने लगे। पुनः, इनकी नियुक्ति 23 सितम्बर,1982 को पार्वती सांइस कालेज, मधेपुरा में सहायक प्राध्यापक (असिस्टेंट प्रोफेसर) के रूप में हुई। पुनः वे सह-प्राध्यापक (एसोसिएट प्रोफेसर) के पद पर प्रोन्नति हुए। इन्होंने महाविद्यालय में शिक्षक संघ के कोषाध्यक्ष सहित कई अन्य दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। इन्होंने वर्ष 2006 में ‘मध्यकालीन हिन्दी साहित्य और भारतीय संस्कृति’ विषय पर पी-एच. डी. की उपाधि प्राप्त की।
डाॅ. शर्मा 9 जुलाई, 2008 को विश्वविद्यालय हिंदी विभागा के अध्यक्ष बने। इनकी पहचान एक मृदुभाषी एवं कर्तव्यपरायण शिक्षक के रूप में है। इनके निर्देशन में कई विद्यार्थियों को पी-एच. डी. की उपाधि मिली है।