जबl  तक नियमित स्कूल नहीं खुलते तब तक राज्य के निजी स्कूल कोरोना काल में ट्यूशन फीस के अतिरिक्त वसूली नहीं कर सकते। ‎मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक अहम अंतरिम आदेश में यह व्यवस्था दी है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है ‎कि राज्य शासन का निर्णय इस सिलसिले में मान्य होगा। किसी भी छात्र को कोरोना काल में मनमानी फीस के जरिये परेशान करना उचित नहीं होगा। गुरुवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपाण्डे की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने कोरोना काल में निजी स्कूलों की फीस नियंत्रित करने पर बल दिया। निजी स्कूलों की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने फीस वसूली के लिए स्वतंत्र करने की मांग की। अमित सिंह व अनुज जैन ने कहा कि आनलाइन क्लास और फीस नियमित, यह रवैया अनुचित है। कोर्ट ने पूरे मामले को सुनने के बाद छात्र और अभिभावकों के हित में निर्देश जारी किया। साफ किया गया कि कोरोना काल में सिर्फ टयूशन फीस लेना ही व्यवहारिक है। गुरुवार को जबलपुर सहित अन्य जगहों से स्थानांतरित जनहित याचिका एक साथ सुनी गईं। मालूम हो कि निजी स्कूल कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान पूरी तरह से बंद रहने के बावजूद भी सभी तरह की फीस जमा करने के ‎लिए छात्रों एवं अभिभावकों पर दबाव डाल रहे हैं। इस मामले को लेकर प्रदेश के कई निजी स्कूल एवं ‎अभिभावक आमने-सामने आ चुके हैं और स्कूल प्रबंधन के विरोध में धरना प्रदर्शन तक कर चुके हैं। फीस जमा करने को लेकर अभिभावकों का कहना है ‎कि जब बच्चों की शाला में नियमित पढाई हुई ही नहीं तो फिर स्कूल प्रबंधन ‎किस बात की फीस ले रहे हैं। बहरहाल हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए इस ‎विवाद का पटाक्षेप कर दिया है।

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