नई दिल्ली। भारत में औसतन एक ट्रक 50,000-60,000 किमी प्रति वर्ष की दूरी तय करता है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे उन्नत देशों में 300,000 किमी से अधिक की दूरी तय करता है। ऐसा होने का प्रमुख कारण वाहनों की भौतिक जांच और दस्तावेजों के सत्यापन आदि के लिए बार-बार रूकना है। जीएसटी ने इस स्थिति को सुधारने में काफी मदद की है। लेकिन उन्नत देश के स्तर तक पहुंचने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। विभिन्न नियमों और अनुपालनों के संभावित उल्लंघन के 60 से अधिक उदाहरण सामने आए हैं। जिन पर प्रवर्तन एजेंसियों को नजर रखने की आवश्यकता है। इस प्रवर्तन की जिम्मेदारी राज्य सरकार के विभागों, अर्थात् वाणिज्यिक कर, परिवहन, पुलिस और अन्य एजेंसियों के पास है। सड़क परिवहन पर लॉजिस्टिक लागत को कम करने की रणनीति के रूप में, भारत सरकार, वाणिज्य विभाग, रसद विभाग ने ट्रकों द्वारा सड़क-आधारित उल्लंघनों से संबंधित नियमों और विनियमों के स्मार्ट प्रवर्तन के कार्यान्वयन पर जोखिम-आधारित नजरिया विकसित किया है। इसने प्रवर्तन तंत्र को प्रौद्योगिकी संचालित बनाने के लिए एनआईटी आधारित समाधान भी विकसित किया है। राज्य सरकारों के अधिकारियों के साथ आज हुई बैठक में जोखिम आधारित नजरिया साझा किया गया और आईटी आधारित स्मार्ट प्रवर्तन ऐप का अनावरण किया गया। बैठक में संबंधित विभागों जैसे वाणिज्यिक कर और राज्य सरकारों के परिवहन विभागों के 100 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

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