मदरलैण्ड संवाददाता, छपरा

सारण भोजपुरिया समाज में कवि केशव मोहन के काव्य रस की बही धारा

सारण भोजपुरिया समाज द्वारा आनलाइन एकल काव्य पाठ का आयोजन किया गया।काव्य पाठ का संचालन दिल्ली महानगरी से करते राम प्रकाश तिवारी ने एकल काव्य पाठ की यह पहली प्रस्तुति भोजपुरिया समाज के वरिष्ठ कवि अरविंद श्रीवास्तव के वैवाहिक वर्षगांठ के नाम समर्पित बताया।इस एकल काव्य पाठ के प्रथम हस्ताक्षर बने प्रसिद्ध कवि एमिटी इंटरनेशनल स्कूल गुरुग्राम के शिक्षक केशव मोहन पांडेय जी।कवि पांडेय ने करीब अपनी आधा दर्जन कविताओं का पाठ- वाचन कर आन लाइन श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। भोजपुरी भाषा माई के वंदना करते जय जय भोजपुरी कविता में अश्लीलता के खिलाफ शंखनाद करते हुए भोजपुरी भाषा के महान साहित्यकारों को कवि ने याद किया और इसे संविधान की आठवीं अनुसूची तक पहुंचाने की अपिल की।काव्य पाठ की अगली प्रस्तुत में पांडेय ने ‘जिनगी खाली तैयार रोटी ना ह, में संघर्षशील व कर्मठ भोजपुरिया किसानों को अपनी खेती – किसानी और परम्परा की महानता बताते हुए इसे जिन्दा रखने की अपील की।कविता की यह पंक्ति खेतवा बचाईं, बचाईं किसान के, ना त हहरे के परी किसान के – ने श्रोताओं के दिल को झकझोर दिया।कहानी संग्रह कठकरेज के लेखक, अथ से इति वर्ण स्तम्भ, शत् हाइकूकार, हिन्दी कविता के भोजपुरी अनुवाद बारम्बार खोजू छू, हिन्दी टेलीफिल्म औलाद, अंग्रेजी फिल्म लास्ट ईयर और भोजपुरी फिल्म कब आई डोलिया कहार आदि के पठकथा गीत लेखक कवि केशव मोहन ने काव्य पाठ की अगली हृदयस्पर्शी कविता गौरेया चिरई के माध्यम से महान भोजपुरिया संस्कृति- विरासत को रेखांकित किया। चिरई के जान लइकन के खेलौना कहावत को कविता में जोड़ पाश्चात्य संस्कृति के हमला से तड़फड़ाती और लहुलुहान होती भोजपुरी संस्कृति के दर्द को उकेरा जिसे सुन हर भोजपुरी प्रेमी साहित्यकार के माथे पर चिन्ता की लकीरें उभर आईं।वातावरण को काफी गंभीर होते देख संचालक युवा साहित्यकार राम प्रकाश तिवारी के मीठीवाणी की आग्रह पर कवि पांडेय ने अपनी पहली श्रृंगारिक रचना हमहूं त तोहरे पर लुभा गईनी बेली जस फूला गईनी हो ए संवरों… सोहर छंद में सुना कर लॉक डाउन में अपने घरों में बंद समय काट रहे अपने श्रोताओं को रोमांचित कर दिया।फिर चैत रचना पिपरा के पता झरी गईले हो रामा, पिया नाहीं अइले सुन लॉक डाउन में फंसे किसी विरहिन के प्रियतम के विरह – दर्द को निश्चित ही ताजा कर दिया होगा।कवि पांडेय ने अपनी प्रिय रचना छंदवद्ध में राधा रानी कविता की रचना सुना कर भाव विभोर कर दिया।छंद की पंक्ति जीत ना हार, ना प्रेम ना रार, नव नेह के धार ले अइली राधा, अइली त अइली कमाल उ कइली जगत पति पर लोभा गईली राधा। पावल खाली ना प्यार हवे तपोत्याग ह प्यार सीखा गईली राधा – ने कवि की साहित्यिक व दार्शनिक ऊंचाईयों को महसूस कराया।कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित कवि पांडेय ने काव पाठ की अंतिम कविता कइसे कह दीं रावण जर गईल सुना कर संसार के वर्तमान सामाजिक परिदृश्य को रेखांकित किया।संस्था के अध्यक्ष ज्वाला सिंह, संस्थापक विमलेन्दु भूषण पांडेय, महासचिव सत्य प्रकाश यादव द्वारा कवि पांडेय को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।आनलाइन हौसलाअफजाई करनेवालों में डा सुनील उपाध्याय, युवा कवि गणपति सिंह, बी एम उपाध्याय, अरविंद श्रीवास्तव, सुभाष संगीत, शैलेन्द्र तिवारी आदि थे।

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