नई दिल्ली। नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ. जी.आर. चिंतला ने कहा कि कृषि आधारभूत संरचना में सुधार करना बहुत ज़रूरी है। इसमें सिंचाई, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, लॉजिस्टिक्स, बाजार, स्वास्थ्य व अन्य संबंधित आधारभूत संरचनाएं शामिल हैं। इसके लिए हरित आधारभूत संरचना में उचित निवेश करने की आवश्यकता है, जो वर्ष 2024-25 तक लगभग 18.37 लाख करोड़ रू. होगा, जिसमें से 7.35 लाख करोड़ रू. कृषि आधारभूत संरचना के लिए रखे जाएंगे। डॉ. चिंतला ने कहा कि भारत दो ट्रिलियन डॉलर से पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है और सबसे अच्छी बात यह है कि यह सब कुछ वर्तमान दशक में होने जा रहा है। कृषि इको-सिस्टम में बदलाव हो रहा है, जिसके कारण कृषक समुदाय का जीवन पहले की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक बन सकेगा क्योंकि किसान कृषि प्रणालियों, प्रसंस्करण के साथ-साथ निर्यात के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकेंगे जिससे उनकी आय बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों से, नाबार्ड विभिन्न उपायों के माध्यम से कृषि व ग्रामीण समुदाय के उत्थान के लिए प्रयास कर रहा है और हमारी प्रतिबद्धता एक ऐसी प्रणाली विकसित करने की है, जहां छोटे व सीमांत किसान, ग्रामीण महिलाएं और कृषि मजदूर ऐसे संस्थानों से लाभ प्राप्त कर सकें, जिन्हें मूल रूप से इनकी भलाई के लिए बनाया गया है।

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