हरियाणा में पूर्ण बहुमत से दूर रहने के बाद जननायक जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री मनाेहरलाल के लिए दूसरी पारी चुनौतीपूर्ण हो गई है। उनको सहयोगी दल जजपा को संतुष्ट करना होगा तो वहीं निर्दलीय विधायकों को भी साधे रहना होगा। इसके साथ ही मौका भांप कर राज्य से पार्टी के सांसदों ने भी अपना दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ये सांसद चाहते हैं कि सरकार उनको पूरी तव्वजो दे और इसके साथ ही राजनीतिक पदों पर नियुक्तियों में भी उनको महत्व मिले।
विधायकों के साथ ही सांसदों के हितों का भी ध्यान रखना होगा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसे में सीएम मनोहरलाल को भाजपा के विधायकों के साथ-साथ सांसदों के हितों का भी ध्यान रखना होगा। भाजपा और जजपा के बीच दिन-प्रतिदिन का आपसी समन्वय भी बनाने की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री कार्यालय पर ही रहेगी। केंद्रीय राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया के निवास पर सांसदों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित प्रदेश प्रभारी व भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अनिल जैन ने सांसदों के हर सवाल का जबाव दिया।
सांसदों के मुताबिक
सांसदों ने इस बैठक में यह मांग रखी कि राज्य में राजनीतिक तौर पर होने वाली सरकारी नियुक्तियों में भी सांसदों की संस्तुतियों को ध्यान रखना होगा। सांसदों का कहना था कि उनकी संस्तुतियों को दरकिनार किए जाने से अर्थ यह होगा कि राज्य के 58 फीसद मतदाताओं की अनदेखी। वही, अपने बयान में सांसदों ने स्पष्ट किया कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को 58 फीसद मत मिले हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव के परिणामों पर भी ध्यान करना होगा। इन सांसदों ने यह भी कहा कि मार्केट कमेटियों और सहकारी समितियों से लेकर अन्य अनेक ऐसी राजनीतिक नियुक्तियां होती हैं जिनमें सांसदों की अनदेखी होती है तो कार्यकर्ताओं में नाराजगी होती है।