लखनऊ। उत्तरप्रदेश के हाथरस में युवती के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में पीड़िता की मौत के बाद प्रशासन द्वारा आनन फानन में अंतिम संस्कार करने की खबरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि एक क्रूरता अपराधियों ने पीड़िता के साथ दिखाई और इसके बाद जो कुछ हुआ, अगर वो सच है तो उसके परिवार के दुखों को दूर करने की बजाए उनके जख्मों पर नमक छिड़कने के समान है।
हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले से ही ये तय किया है कि जीवन ही नहीं बल्कि मृत्यु के बाद गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार भी एक मौलिक अधिकार है। मृतक के शव को उनके घर ले जाया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। हमारे समक्ष मामला आया जिसके बारे में हमने संज्ञान लिया है यह केस सार्वजनिक महत्व और सार्वजनिक हित का है क्योंकि इसमें राज्य के उच्च अधिकारियों पर आरोप शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप न केवल मृतक पीड़ित बल्कि उसके परिवार के सदस्यों की भी मूल मानवीय और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।
हाईकोर्ट ने कहा, “हमने मृतक पीड़िता के खिलाफ किए गए घृणित अपराध पर भी विचार किया है और हालांकि मामले में राज्य सरकार द्वारा एक एसआईटी का गठन किया गया है, हम इसे भविष्य की तारीखों पर अपने विचार के लिए खुला छोड़ देते हैं कि जांच की निगरानी करें या कानून के अनुसार एक स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से जांच कराएं।”
हाईकोर्ट ने हाथरस मामले से जुड़े सभी उच्च अधिकारियों को नोटिस भेज तलब किया है। जिन अधिकारियों को ये नोटिस भेजे गए हैं उनमें यूपी के डीजीपी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, हाथरस के डीएम और एसपी शामिल हैं। कोर्ट ने सभी अधिकारियों से 12 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा है।इसके साथ ही कोर्ट ने कुछ अख़बारों और टीवी चैनलों से हादसे से जुड़ी वीडियो क्लिपिंग देने का भी निवेदन किया है।

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