नई दिल्ली। भारत ने ड्रैगन के साथ लगी पूर्वी सीमा पर राफेल लड़ाकू विमानों को तैनात करने का फैसला किया है। पश्चिम बंगाल स्थित हासिमारा एयरबेस पर राफेल विमानों की औपचारिक तैनाती से पहले भारतीय वायुसेना ने दूसरी स्क्वॉड्रन तैयार कर ली है, जिसे नाम दिया गया है- 101 फॉल्कन्स ऑफ छम्ब एंड अखनूर। इस स्क्वॉड्रन के तहत राफेल विमानों को चीन के साथ लगी पूर्वी सीमा पर तैनात किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार अंबाला में राफेल की पहली स्क्वॉड्रन 17 गोल्डेन ऐरौज 18 लड़ाकू विमानों के साथ पूरी तरह तैयार है।
101 स्क्वॉड्रन में अभी पांच राफेल लड़ाकू विमान है, जो हाल ही में फ्रांस से भारत आए हैं। फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे के बाकी बचे विमानों के अगले साल अप्रैल तक आने की उम्मीद है। सितंबर 2016 में भारत सरकार ने फ्रांस के साथ 36 दो इंजन वाले राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा 59 हजार करोड़ में किया था। सौदे के तहत भारत को 23 विमान मिल गए हैं, जबकि 13 और मिलने बाकी हैं। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि भारतीय वायुसेना राफेल विमानों की तैनाती के अपने लक्ष्य पर निश्चित समय सीमा के साथ आगे बढ़ रही है, जो बिल्कुल सटीक है।
सूत्रों ने कहा 101 स्क्वॉड्रन की औपचारिक सेरेमनी में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते देरी हुई है। लेकिन अब एक महीने के भीतर इस कार्यक्रम को पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि ग्रुप कैप्टन रोहित कटारिया 17 स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर हैं, जबकि ग्रुप कैप्टन नीरज झाम्ब ‘जैमी’ 101 स्क्वॉड्रन को लीड कर रहे हैं। भारतीय वायुसेना ने अंबाला और हासिमारा को 4.5 जनरेशन के राफेल विमानों के लिए ‘मेन ऑपरेटिंग होम बेस’ के तौर पर चुना है। हालांकि ओमनी रोल लड़ाकू विमान राफेल की खासियत यह है कि यह देश के किसी भी हिस्से में ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है।
राफेल विमानों के लिए दोनों एयरबेस पर हैंगर्स, शेल्टर्स, मेंन्टिनेंस फैसिलिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार है।
हासिमारा एयरबेस सिक्किम, भूटान और तिब्बत के त्रिकोण पर स्थित है, जिसे 1962 के चीन युद्ध के बाद तूफानी एयरक्राफ्ट के साथ स्थापित किया गया था। असम के तेजपुर और चाबुआ एयरबेस पर रूस निर्मित सुखोई 30एमकेआई विमानों की तैनाती के साथ पूर्वी सेक्टर में चीन के खिलाफ बंगाल के हासिमारा में राफेल की तैनाती भारतीय वायुसेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। 780 से 1650 किलोमीटर रेंज की युद्धक क्षमता से लैस राफेल के पास खतरनाक युद्धक हथियारों, एडवांस्ड एवियोनिक्स, रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली है, जो दुश्मन के जैमिंग को गच्चा दे सकती है और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी राफेल अपनी श्रेष्ठता साबित कर सकता है।
राफेल विमान 300 किलोमीटर रेंज तक हवा से जमीन पर मार करने की क्षमता वाली स्कैल्प मिसाइल से लैस है। उसके पास हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल भी है, जो 120 से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित किसी भी टारगेट को उड़ा सकती है। ऐसी क्षमता फिलहाल किसी भी पाकिस्तानी या चीनी जेट के पास नहीं है। भारतीय वायुसेना ने राफेल को और बाहुबली बनाने के लिए हवा से जमीन पर मार करने वाली हैमर मिसाइल का ऑर्डर दिया है। यह डील उस समय हुई थी, जब पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर तनाव अपने चरम पर था। 20 से 70 किलोमीटर की क्षमता वाली हैमर मिसाइल बंकर, कठोर शेल्टर और दुश्मन के अन्य टारगेट को ध्वस्त करने के लिए डिजाइन की गई है।

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