नई दिल्ली। जानलेवा कोरोना वायरस को लेकर एक सर्वे में देश में 10 में से 9 लोगों ने इसको लेकर चिंता जतायी। इतना ही नहीं, आने वाले समय में खर्च को लेकर सतर्कता बरतने की बात कही। 78 प्रतिशत भारतीय प्रतिभागियों ने कहा कि वे ‘ऑनलाइन खरीदारी पसंद करेंगे जबकि वैश्विक औसत लगभग दो तिहाई है। ब्रिटेन के स्टैर्न्डर्ड चार्टर्ड बैंक ने इस संदर्भ में वैश्विक स्तर पर एक सर्वे किया है। बैंक ने गुरुवार को कहा, सर्वे में 90 प्रतिशत भारतीय प्रतिभागियों ने कहा कि महामारी ने उन्हें खर्च को लेकर सतर्क बना दिया है। सर्वे के अनुसार 76 प्रतिशत भारतीय प्रतिभागी यह महसूस करते हैं कि महामारी ने उन्हें अपने खर्चों के बारे में सोचने को मजबूर किया है। वहीं वैश्विक स्तर पर ऐसा सोचने वाले लोगों का प्रतिशत 62 है। यह बताता है कि भारतीय ज्यादा सतर्क हैं।
इसमें कहा गया है कि 80 प्रतिशत या तो बजट बनाने वाले साधानों का उपयोग कर रहे हैं या फिर ऐसे उपाय कर रहे हैं, जिसमें एक सीमा के बाद उनकी कार्ड से खर्च पर रोक लग जाये। सर्वे के अनुसार भारतीय अपना खर्च डिजिटल तरीके से अधिक करना चाहते हैं। ऑनलाइन सर्वे 12,000 लोगों के बीच किया गया। इसमें 12 देशों ब्रिटेन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, केन्या, चीन, मलेशिया, पाकिस्तान, सिंगापुर, ताइवान, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका… के बाजार शामिल हैं। यह सर्वे तीन हिस्सों में जारी किया जाना है। अभी दूसरा हिस्सा जारी किया है। सर्वे में इस बात का का पता लगाया कि कैसे महामारी ने जीवन जीने के तरीकों में बदलाव लाया है और आने वाले समय में क्या बदलाव बना रह सकता है। पहला सर्वे जुलाई में किया गया था। उसमें इस बात पर गौर किया गया था कि महामारी से आय पर क्या असर हुआ है। सर्वे में यह बात भी सामने आयी कि अब लोग ज्यादा खरीदारी ऑनलाइन करना पसंद कर रहे हैं।
महामारी से पहले केवल 54 प्रतिशत भारतीयों ने ‘ऑनलाइन खरीदारी को तरजीह दी लेकिन अब यह बढ़कर 69 प्रतिशत हो गया है। सर्वे में 64 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि उन्होंने महामारी से पहले की तुलना में यात्रा/अवकाश पर खर्चों में कटौती की है। वैश्विक स्तर पर भी यह प्रतिशत 64 है। वहीं 56 प्रतिशत भारतीयों ने (वैश्विक स्तर पर 55 प्रतिशत) कपड़ों पर कम खर्च किये। सर्वे के अनुसार भारत में यह प्रवृत्ति बनी रहेगी। 41 प्रतिशत का कहना है कि वे यात्रा/अवकाश पर कम खर्च करेंगे जबकि 28 प्रतिशत ने कहा कि कपड़ों पर उनका व्यय कम होगा। भारतीयों में कोरोना वायरस संक्रमण में लगातार बढ़ते मामलों के साथ रोजगार और आर्थिक पुनरूद्धार को लेकर एक अनिश्चितता पैदा हो रही है और इसका असर खर्च पर भी दिख रहा है।

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