नई दिल्ली। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की प्रगति की मध्यावधि समीक्षा के क्रम में, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में इस मिशन की स्थिति की समीक्षा की गई। जल शक्ति मंत्रालय केंद्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत ग्रामीण घरों में सभी तक नल कनेक्शन की पहुंच के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का आकलन कर रहा है।
जल जीवन मिशन का उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में पेयजल उपलब्ध कराना है। लद्दाख में 191 ग्राम पंचायत, 288 गांव, 1,421 बस्तियों में लगभग 44,082 ग्रामीण परिवार रहते हैं। राज्य ने 2021-22 तक यहां के ग्रामीण इलाकों में 100 प्रतिशत तक नल जल कनेक्शन पहुंचाने की योजना बनाई है। इसे प्राप्त करने के लिए, केंद्र शासित प्रदेश को अपने मौजूदा जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे का प्रयोग करना होगा। लद्दाख के 254 गांवों में पाइप द्वारा जल आपूर्ति प्रणाली मौजूद है।
इस केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन बचे हुए घरों तक नल कनेक्शन पहुंचाने के लिए मौजूदा पाइप जल आपूर्ति प्रणाली में सुधार का काम कर रहा है।
इस बैठक में ग्रामीण कार्य योजना और ग्रामीण जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) के संविधान की तैयारी जैसे मामलों पर प्रकाश डाला गया। इस बैठक में जल आपूर्ति प्रणाली की योजना, कार्यान्वयन और संचालन व रख-रखाव में स्थानीय समुदाय की मदद के लिए स्वैच्छिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सहयोगी एजेंसी के रूप में जोड़ने पर जोर दिया गया। लद्दाख को ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों और अन्य हितधारकों की क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने को कहा गया। साथ ही ग्रामीण स्तर पर प्रशिक्षित मानव संसाधन का समूह बनाने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम पर फोकस करने के लिए भी कहा गया जो कि जल आपूर्ति प्रणाली के कार्यान्वयन और संचालन व रख-रखाव में काफी मददगार होगी। केंद्र शासित प्रदेश को पेयजल स्रोतों के अनिवार्य कैमिकल परीक्षण और जीवाणु विज्ञान संबंधित परीक्षण की सलाह दी गई।
जल गुणवत्ता परीक्षण इस मिशन के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक है। साल 2020-21 में, लद्दाख को जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन हेतु 352.09 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। लद्दाख से आग्रह किया गया कि पेयजल स्रोतों, जल संचयन, ग्रे वाटर मैनेजमेंट को सुदृढ़ बनाने जैसे कार्यों के लिए फंड को मनरेगा, एसबीएम, स्थानीय क्षेत्र विकास फंड आदि के साथ ग्रामीण स्तर पर प्रयोग करने की योजना बनाई जाए ताकि उपलब्ध धन का विवेकपूर्ण उपयोग हो सके।

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