मदरलैंड लुधियाना ,हरप्रीत सिंह

उपदेश

सुबह जल्दी उठ कर स्नान करके वाहिगुरु मंत्र का स्मरण करना और बाणी पढ़ना।

दोनों हाथों की कमाई का निर्वाह करना तथा जरूरतमंदों को दान देना।

अहंकार का त्याग करना। 

लुधियाना हरप्रीत सिंह :-  सिखों के पाँचवे गुरु अर्जुन देव जी का प्रकाश पूर्व बड़ी श्रद्धा से मनाया सभी सिखों ने अपने घरो में परिवार के साथ सुखमणि साहिब का पाठ किया पवनीत और पहवा ने बताया की पुरे परिवार ने साथ बैठ कर पाठ किया और उनके जीवन के बारे में अपने बच्चो को बताया की किस प्रकार उन्होंने अपना जीवन  में अमर शहीदी प्राप्त की गुरु अर्जन देव का जन्म सिख धर्म के चौथे गुरु, गुरु रामदासजी व माता भानीजी के घर वैशाख वदी 7, (संवत 1620 में 15 अप्रैल 1563) को गोइंदवाल (अमृतसर) में हुआ था। श्री गुरु अर्जन देव साहिब सिख धर्म के 5वें गुरु है। वे शिरोमणि, सर्वधर्म समभाव के प्रखर पैरोकार होने के साथ-साथ मानवीय आदर्शों को कायम रखने के लिए आत्म बलिदान करने वाले एक महान आत्मा थे।

इस दौरान उन्होंने गुरुग्रंथ साहिब का संपादन किया, जो मानव जाति को सबसे बड़ी देन है। संपूर्ण मानवता में धार्मिक सौहार्द पैदा करने के लिए अपने पूर्ववर्ती गुरुओं की वाणी को जगह-जगह से एकत्र कर उसे धार्मिक ग्रंथ में बांटकर परिष्कृत किया। गुरुजी ने स्वयं की उच्चारित 30 रागों में 2,218 शबदों को भी श्री गुरुग्रंथ साहिब में दर्ज किया है।
गुरु अर्जन देव जी ने ‘तेरा कीआ मीठा लागे/ हरि नाम पदारथ नानक मागे’ शबद का उच्चारण करते हुए सन्‌ 1606 में अमर शहीदी प्राप्त की। अपने जीवन काल में गुरुजी ने धर्म के नाम पर आडंबरों और अंधविश्वास पर कड़ा प्रहार किया। आध्यात्मिक जगत में गुरु जी को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।

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