मदरलैंड संवाददाता, भैरोगंज
अंगद के पाँव जमीन छोड़ना नहीं चाहते, शरीर थक कर चूर है। एक कदम चलना दूभर हो रहा है। भूख ने बेजार कर दिया है। चलते वक़्त कुछ पैसे और खाने का सामान साथ रहा। लेकिन दुःखद सफर के बीते 6 दिनों में सब कुछ कब के ख़त्म हो गए हैं। रास्ते मे कई जगह पुलिस के डण्डे भी खाने को मिले हैं..
पर करते क्या बेचारे मजदूर जो ठहरे ?
उनके पास कोई चारा भी नहीं..?
जहाँ पड़े, वहां हमारी सुधि लेने वाला कोई नहीं। रशद, पानी और रूपये खत्म हो रहे..। अंत मे उनके पास पास “लॉक डाउन” तोड़ घर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा….।
उपर्युक्त अभिव्यक्त करते बिहारी मजदूर भैरोगंज निवासी और भाजपा नेता आलोक सिंह की मोबाईल पर फफक कर रो पड़े……। यह सुनकर कलेजा मुंह को आ जाये ऐसा लगा….
दरअसल भैरोगंज गांव तथा आसपास के क्षेत्र के लगभग एक दर्जन से अधिक मजदूर पंजाब प्रांत के सरहिंद कमाने गए। कंन्धे पर परिवार की जिम्मेदारी और पेट की आग बुझाने का बोझ ……। बस इसी जिम्मेदारी ने उन्हें गाँव छोड़ने और पंजाब प्रांत की सरहिन्द पहुंचा दिया। लम्हे गुजरते गए, बीते करीब छः माह गुजरे थे, सब कुछ ठीक चलता रहा, पर नियति को कुछ और मंजूर। कमबख्त कोविड 19 कोरोना वायरस ने सारे किये कराये पर पानी फेर दिया। रूपये जो मिले सो मिले…. समय ने जान बचाने को लाले उत्पन्न कर दिया। बहरहाल, भाजपा नेता भैरोगंज निवासी ने उनका लोकेशन लेकर वहाँ के एक भाजपा नेता को स्थिति से अवगत कराया। उसके बाद, उन्होंने ने बताया के सभी मजदूर चक्कालीलेट हॉल्ट पर रुके हुए हैं। पुलिस प्रशासन सर्वप्रथम, इनके भोजन की व्यवस्था में जुट गई है। अभी उन मजदूरों के सामने उचित स्थान पर ठहरने का प्रश्न ,यक्ष प्रश्न की भांति है।