मदरलैंड संवाददाता, भैरोगंज

विकास की अंधी दौड़ में धरती के पर्यावरण का हमने जो हाल किया है, वह बीते करीब चालीस-पचास वर्षों से चिंता का विषय बन गया। इस अंधी दौड़ में विकसित देश स्वंय पर्यावरण को बेहद नुकसान करते गए। वे अपनी जवाबदेही निभाने के बदले विकासशील देशों को हड़काते रहे। उधर अंधानुकरण में विश्व शक्ति अथवा प्रतिष्ठा पाने के लिए विकासशील देश भी विकसित देशों के रास्ते पर चलकर पर्यावरण नष्ट करने के अभियान में शामिल हो गए। यह काफी दुःखद सफर है।लेकिन इस सच्चाई से हमारा सामना तब हुआ,जब वैश्विक “लॉक डाउन” किया गया। “लॉक डाउन” में पर्यावरण अपने शुद्धता की तरफ तेजी के साथ मुड़ गया है। वैसे एक तरफ देखे तो कोरोना महामारी विश्व मानव के लिए कहर बन कर दुनिया पर टूट चुका है।इससे रोज दुनियां में हजारों मौते हो रही है।लाखों बीमार हो रहे हैं।लेकिन दूसरी ओर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन से पर्यावरण को बेमिसाल फायदा पहुंच रहा है।हवा प्रदूषण मुक्त है। सड़कों पर गतिमान वाहनों का आवागमन नगण्य है ।अतः उनसे निकलते काले धुंए के बवंडर भी गायब हैं। यहाँ से गोवर्धना अथवा चिउटहा वन क्षेत्र की पहाड़ी के साथ  उसके पीछे खड़ी हिमालय पर्वत श्रृंखला देखना अब आसान है। क्षेत्र की नदियों का पानी स्वच्छता की तरफ है। जिसका अनुकूल असर जलचरों पर सहज दिखता है। इन सब बदलावों से अलग सबसे अधिक और स्पष्ट असर जलवायु परिवर्तन पर आया है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भीषड़ गर्मी नहीं है।इसका सुस्पष्ट कारण करीब रोज हो रही बारिश है। सोमवार दोपहर को करीब एक घंटे मूसलाधर बारिश हुई है । स्थिति यहाँ तक है के हर सप्ताह तीन से पांच बार बारिश हो रही है। यह जलवायु परिवर्तन के स्पष्ट संकेत ही हैं।
उपरोक्त बातों की तरफ इशारा करते हुए स्थानीय पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवी सुधांशू कुमार ,पुष्पेंद्र सिंह ,ऋतुराज सिंह,राजेश सिंह,रवि सोनी,अशोक सिंह समेत कई प्रबुद्ध जनों ने यथास्थिति बंनाये रखने के लिए तमाम लोगों से आवाह्न किया गया।

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