मदरलैंड संवाददाता, सहरसा
नेम निष्ठा व पति की लंबी उम्र की कामना के लिए आज महिलाओं द्वारा वट सावित्री का त्योहार मनाया जाएगा। यह पर्व पति की लंबी उम्र की मंगल कामना को लेकर मनाने की परंपरा है। वट वृक्ष को देवता रूपी मानकर निष्ठा पूर्वक पकवान आदि सामग्री लेकर पूजा की जाती है। लॉकडाउन के कारण पर्व में लगने वाले सामान की खरीदारी को लेकर काफी दिक्कत हो रही है पर पुजा भी जरूरी है । वहीं पुजा करने वाली महिला काजल कुमारी और श्वेता कुमारी ने बताया कि लॉकडाउन के कारण इस बार वट वृक्ष की पुजा में दिक्कतें आ रही है पर हर वर्ष यह पुजा हनन करते आ रहे हैं और इस पुजा में हम महिलाएं अपने पति की दीर्घायु होने की कामना करते हैं । अब लॉकडाउन का पालन करते हुए समाजिक दूरी बनाकर यह पुजा की जाएगी । सनद रहे कि पुजा में इस्तेमाल होने वाले में डलिया समेत बांस के बने हाथ के पंखे की ब्रिकी हुई । फलों का दाम भी काफी ऊंचा रहा । पर्व को लेकर बाजार में महिलाओं ने खुलकर खरीददारी नहीं कर पाई । बताते चलें कि वट वृक्ष के नीचे इस दिन सावित्री सत्यवान की कथा सुनी जाती है। बताया जाता है कि इस व्रत रखने से घर-परिवार में सुख-शांति का योग है।
वट सावित्री, वट वृक्ष का है खास महत्व
महिलाएं ये व्रत अखण्ड सौभाग्य के लिये करती हैं। ये व्रत सावित्री द्वारा अपने पति को पुन:जीवित करने की स्मृति के रूप में रखा जाता है। वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्नाजी, तने में विष्णु जी और डालियों-पत्तियों में भगवान शिव का वास होता है। वट पूजा से अखण्ड सौभाग्य और उन्नति की प्राप्ति होती है।
कच्चा सूत लपेटकर 108 बार करतीं परिक्रमा
प्रात: स्नान के बाद बांस की टोकरी में सप्त धान्य और ब्रह्ना जी की मूर्ति रखें। दूसरी टोकरी में सत्यवान व सावित्री की मूर्तियों को रखकर वटवृक्ष के नीचे जाकर ब्रह्माजी की पूजा के बाद सत्यवान और सावित्री की पूजा करके बड़ (बरगद) की जड़ में जल देते हैं। वट वृक्ष पूजन में वट के तने पर कच्चा सूत लपेट कर 108 परिक्रमा का विधान है। न्यूनतम सात बार परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जेष्ठ अमावस्या के दिन वट वृक्ष की परिक्रमा करने पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं। गांवों-शहरों में हर कहीं जहां वट वृक्ष हैं, वहां सुहागिनों का समूह परंपरागत विश्वास से पूजा करता दिखाई देगा। कई स्थानों पर वट वृक्ष के तले सुहागिनों का तांता नजर आएगा। सुहाग की कुशलता की कामना के साथ सुहागिनों ने परंपरागत तरीके से वट वृक्ष की पूजा कर व्रत रखेंगी। उनके द्वारा 24 पूड़ी, 24 पकवान और इतने ही प्रकार के फल व अनाज भी चढ़ाए जाएंगे। उसके बाद वट वृक्ष को धागा लपेटकर पूजा करके पति की लंबी उम्र की कामना की जाएगी।