नई दिल्ली । भारत और जापान ने 5 जी प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और कई अन्य अहम क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी साइबर सुरक्षा समझौते को अंतिम रूप दिया है। साथ ही, दोनों रणनीतिक साझेदारों (भारत और जापान) ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी संयुक्त कोशिशों को और व्यापक बनाने का संकल्प लिया। मंत्री जयशंकर और जापान के विदेश मंत्री तोशीमित्सू मोतेगी के बीच बुधवार को तोक्यो में हुई एक बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह समझौता 5 जी प्रौद्योगिकी, ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स, एआई और साइबर जगत सहित अन्य क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करेगा। चीन से साइबर हमले के खतरे को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच जापान के साथ यह समझौता किया गया। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच सीमा पर गतिरोध गहराने के बाद चीन से संबद्ध 100 से अधिक मोबाइल ऐप पर भारत के प्रतिबंध लगाये जाने के बाद कम्युनिस्ट देश से साइबर हमलों के खतरे को लेकर खासतौर पर चिंता बढ़ी है। वहीं, इस बीच यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में जापान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी गई। इन दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद यह घोषणा की गई कि जापान हिंद प्रशांत महासागर की पहल (आईपीओआई) के संपर्क स्तंभ में प्रमुख साझेदार बनने के लिए सहमत हो गया है। आईपीओआई, भारत समर्थित एक ढांचा है जिसका लक्ष्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक सुरक्षित समुद्री अधिकार क्षेत्र बनाने की सार्थक कोशिश करना है, जहां चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता से विश्व की चिंताएं बढ़ रही हैं।
मंत्री जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा कि विकास परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत-जापान सहयोग को तीसरे देशों में और अधिक विस्तारित करने का विषय भी 13वें भारत-जापान विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता में उठा। विदेश मंत्रालय ने कहा, डिजिटल प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका को मान्यता देते हुए दोनों मंत्रियों ने मजबूत साइबर प्रणाली की जरुरत का जिक्र किया तथा इस संदर्भ में साइबर सुरक्षा समझौते के मसौदा को अंतिम रूप देने का स्वागत किया। मंत्रालय ने कहा कि यह समझौता महत्वपूर्ण सूचना ढांचा में क्षमता निर्माण, अनुसंधान और विकास, सुरक्षा, 5 जी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, एआई सहित अन्य में सहयोग को बढ़ावा देता है। उल्लेखनीय है कि कई देशों ने अपने यहां चीनी टेलीकम्युनिकेशंस कंपनी हुवावे द्वारा 5 जी सेवाएं शुरू करने के प्रति अनिच्छा प्रकट की है। ऐसे में भारत और जापान के बीच 5 जी प्रौद्योगिकी पर यह सहयोग काफी मायने रखता है। अमेरिका सुरक्षा कारणों को लेकर पहले ही इस चीनी कंपनी को प्रतिबंधित कर चुका है। वह अन्य देशों पर भी इस चीनी कंपनी को प्रतिबंधित करने का दबाव बना रहा है। गौरतलब है कि 5 जी अगली पीढ़ी की सेल्युलर प्रौद्योगिकी है, जिसमें डेटा डाउनलोड की गति मौजूदा ‘4 जी एलटीई नेटवर्क से 10 से लेकर 100 गुना तक तेज होगी। मंत्रालय ने बताया कि जयशंकर और उनके जापानी समकक्ष ने अपनी वार्ता में समुद्री सुरक्षा, व्यापार एवं निवेश, विनिर्माण, संपर्क एवं बुनियादी ढांचा तथा संयुक्त राष्ट्र में सुधारों सहित कई मुद्दों पर चर्चा की। मंत्रालय ने बताया कि उन्होंने स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद प्रशांत क्षेत्र की हिमायत की। विदेश मंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि दोनों नेताओं ने विनिर्माण, कौशल विकास, बुनियादी ढांचे, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत और जापान के बीच ‘विशेष साझेदारी कोविड से उबरने के बाद भारी परिवर्तन ला सकती है। यह सुरक्षा वार्ता क्वाड के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक के एक दिन बाद हुई है। क्वाड चार देशों का समूह है जिसमें अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। जयशंकर ने कहा, हमने तीसरे देश में अपने गठबंधन को और बढ़ाने के तरीके तलाशे, जिसमें पूरा ध्यान विकास परियोजनाओं पर रहा। वैश्विक स्थिति की समीक्षा की और संयुक्त राष्ट्र में सुधार से जुड़ी प्रगति पर चर्चा की। हमारी साझा प्रतिबद्धता हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि में मदद कर सकती है।
गौरतलब है कि पिछले महीने जयशंकर ने कहा था कि भारत और जापान दोनों देश श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमा जैसे तीसरे देशों में साथ काम करने पर विचार कर रहे हैं, जो रणनीतिक हितों पर उनके बढ़ते मेल को दर्शाते हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा, विनिर्माण तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग तेजी से बढ़ रहा है।

Previous articleअवर सचिव और वरिष्ठ रैंक के अधिकारियों को रोज जाना होगा दफ्तर: कार्मिक मंत्रालय
Next articleएयरफोर्स डे का जश्न शुरू, आसमान में दिखेगी वायुसेना की ताकत

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here