कोरोना महामारी को देखते हुए देश में लॉकडाउन पूरी तरह से नहीं खोला गया है। स्कूल कॉलेज और उच्च श‍िक्षण संस्थान बंद रखे गए हैं। CBSE बोर्ड ने भी अपनी बची हुई परीक्षाएं 1 से 15 जुलाई को आयोजित कराने का ऐलान किया है। वहीं तमिलनाडु सरकार ने 15 जून से राज्य में 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं की इजाजत दी है।

सरकार के इस फैसले पर मद्रास हाई कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। अदालत ने 15 जून से कक्षा 10 की सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने पर तमिलनाडु सरकार से सवाल पुछा है। कोर्ट ने पूछा है कि यदि परीक्षा देने वाले 9 लाख छात्र कोरोना संक्रमित पाए गए या उन छात्रों में से एक की मृत्यु हो जाती है, तो सरकार क्या करेगी? अदालत ने सरकार से पूछा है कि क्या सरकार ये आश्वासन दे सकती है कि यदि 10वीं कक्षा की परीक्षाओं का संचालन करने की इजाजत सरकार देती है तो क्या कोई स्टूडेंट कोरोना से प्रभावित नहीं होगा।

अदालत ने कहा कि यदि तमिलनाडु सरकार ने शैक्षिक संस्थानों को तब तक खोलने का निर्णय नहीं लिया है, जब तक कि कोरोना वायरस की स्थिति नियंत्रण में नहीं है, तो सरकार 15 जून से परीक्षा आयोजित करके 9 लाख स्टूडेंट्स, 2 लाख टीचर्स और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को अपनी जान जोखिम में कैसे डाल सकती है? साथ ही अदालत ने ये भी पूछा है कि आप सैकड़ों परीक्षा केंद्रों को किस तरह डिसइनफेक्ट कर रहे हैं? आपको बता दें कि बता दें कि स्टूडेंट्स, टीचर्स और अभिभावकों के कई हफ़्तों के भ्रम के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि स्कूलों और कॉलेजों को अगस्त 2020 के बाद फिर से खोल दिया जाएगा।

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